6 महीने में शहर से लापता हुईं 213 बेटियां, सिर्फ 17 को ढूंढ पाई पुलिस

Edited By suman, Updated: 12 Jul, 2018 03:47 PM

213 daughters missing from the city in 6 months only 17 were found

दुष्कर्म और छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं के बीच एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से 213 नाबलिग लड़कियां गायब हैं, लेकिन पुलिस सिर्फ 17 को ही ढूंढ सकी। इनमें से अधिकांश मामलों में अपहरण का केस दर्ज है, पर जिस पुलिस को उन्हें...

इंदौर : दुष्कर्म और छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं के बीच एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों से 213 नाबलिग लड़कियां गायब हैं, लेकिन पुलिस सिर्फ 17 को ही ढूंढ सकी। इनमें से अधिकांश मामलों में अपहरण का केस दर्ज है, पर जिस पुलिस को उन्हें ढूंढना है, उसके पास न इनके फोटो है न घटना की पूरी जानकारी। अफसरों के पास केस डायरी तक अधूरी है। यह खुलासा हाल ही में एडीजी अजय कुमार शर्मा की क्राइम समीक्षा बैठक में हुआ।

महिला अपराधों को लेकर अफसर लापरवाह
महिला अपराधों को लेकर की गई समीक्षा में पता चला कि नाबालिग बेटियों के अपहरण के मामले लगभग सभी जोन में बढ़ गए हैं, लेकिन कुछ जिलों के पुलिस अधीक्षक भी इन मामलों को लेकर गंभीर नहीं। कुछ की डायरियां ही अधूरी थी तो किसी में बच्ची का फोटो तक नहीं था। सरकार के स्पष्ट निर्देश और जीरो टॉलरेंस पालिसी के बावजूद एसपी स्तर तक के अधिकारी अधीनस्थ स्टाफ के भरोसे हैं और खुद प्रकरण को देख भी नहीं रहे। इनके पास मांगी गई जानकारियां भी नहीं थी, जबकि इन्हीं प्रकरणों से जुड़े बहुत सारे तथ्य और फोटो सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर के पोर्टल में मिल गए। इस सॉफ्टवेयर में फोटो थाने से ही अपलोड होते हैं। बावजूद इसके अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।

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पश्चिम में ज्यादा अपहरण, 5 प्रतिशत ही मिली बेटियां
इंदौर जिले के पूर्व और पश्चिमी थानों में पिछले दो सालों के मुकाबले बेटियों के लापता होने के मामले न सिर्फ बढ़ रहे हैं, बल्कि पुलिस उन्हें ढूंढने में भी नाकाम साबित हो रही है। इस वर्ष पूर्वी क्षेत्र से 96 बेटियां लापता हुईं, जिनमें सिर्फ 10 प्रतिशत मतलब 11 बच्चियों को ही पुलिस ढूंढ सकी। ऐसे ही पश्चिमी क्षेत्र की बात करें तो यहां से 117 बेटियां लापता हुईं, जिनमें 6 बेटियों को पुलिस ढूंढकर ला सकी।

एसपी और एएसपी नहीं दे रहे ध्यान
पुलिस मुख्यालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि नाबालिग के अपहरण के मामले में 3 महीने तक थाना अगर बच्चे को नहीं ढूंढ पाता है तो उसकी जांच सीएसपी को दी जाती है। चार महीने के बाद एएसपी और एसपी को, फिर 5 महीने बाद एडीजी इसकी समीक्षा करते हैं। थाने ने जो रिपोर्ट दे दी, उस पर सीएसपी प्रयास करें भी तो ऊपर के अधिकारी सिर्फ ब्रीफिंग लेकर केस का निपटारा कर देते हैं।

 

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