Edited By Vikas Tiwari, Updated: 06 May, 2021 03:26 PM
ग्वालियर में संक्रमित मरीज और कोरोना से मरने वालों के आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं। प्रशासन की सूची में रोज लगभग 9 लोगों की मौत बताई जा रही हैं। जबकि वास्तविकता ये है कि शहर में लगभग 32 लोगों की मौत रोज हो रही है। जबकि ग्रामीण इलाके और...
ग्वालियर (अंकुर जैन): ग्वालियर में संक्रमित मरीज और कोरोना से मरने वालों के आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं। प्रशासन की सूची में रोज लगभग 9 लोगों की मौत बताई जा रही हैं। जबकि वास्तविकता ये है कि शहर में लगभग 32 लोगों की मौत रोज हो रही है। जबकि ग्रामीण इलाके और कब्रिस्तानों के आंकड़े बताए ही नहीं जा रहे।
पिछली बार जब कोरोना का कहर देखा तो किसी को यह आशंका नहीं थी की दूसरी लहर इतनी बड़ी महामारी बनकर आएगी। संक्रमित और मृतकों के जो आंकड़े लोगों को दिखाए जा रहे हैं वो पूरे नहीं हैं। ग्वालियर नगर निगम के उपायुक्त और मुक्तिधाम के प्रभारी अतिबल सिंह यादव का कहना है कि 23 मई 2020 से लेकर अभी तक वे लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम के इलेक्ट्रिक शवदाह ग्रह में 800 से ज्यादा लोगों के अंतिम संस्कार कर चुके हैं। जबकि अप्रैल 2021 इलेक्ट्रिक शवदाह ग्रह केअलावा 28 चबूतरों पर रोज अंतिम संस्कार हो रहे हैं। इसके अलावा जब चबूतरों पर भी जगह नहीं मिलती तो उनके अंतिम संस्कार जमीन पर ही किए जा रहे हैं। मरीजों की मौत की वजह से निगम को श्मशान घाट में अपना स्टाफ बढ़ाना पड़ा है। कर्मचारियों को शिफ्ट में काम करना पड़ रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं वन विभाग ने भी अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों की सप्लाई और बढ़ा दी है।
मरने वाले लोगों के ये आंकड़े तो केवल ग्वालियर शहर के हैं, कब्रिस्तान शामिल नहीं है। अगर ग्रामीण इलाके की बात करें तो ग्वालियर जिले में 332 गांव हैं। जिनमें से कई गांव में कोरोना कहर बरपाने लगा है। ये भी बताया जा रहा है कि कई लोग तो ऐसे हैं जो श्मशान घाटों में जाने की बजाय अपने खेत-खलियान पर ही अंतिम संस्कार कर रहे हैं। जिले के कब्रिस्तानों में कितने लोगों को दफनाया जा रहा है, ये आंकड़े भी प्रशासन के पास नहीं हैं। प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि संक्रमण की रफ्तार कम होती जा रही है और आने वाले दिनों में यह आंकड़ा भी कम हो जाएगा। सरकार ने इसके लिए सभी से सहयोग करने का आग्रह किया है।
हालांकि बीजेपी संगठन के पदाधिकारी इन आंकड़ों को झुठला रहे हैं। जबकि कांग्रेस का कहना है कि सरकार की लापरवाही की वजह से आज प्रदेश की ये स्थिति हो रही है। ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े तो मृतकों की संख्या के हैं। कोरोना गाइडलाइंस से मुक्तिधामों और कब्रिस्तानों आंकड़ों में लगभग 5 गुना अंतर है। अगर हम सिर्फ शहरी इलाके के ही आंकड़े देखें तो, सरकारी आंकड़ों में 3 मई को संक्रमितों की संख्या 1096 थी, मृतकों की संख्या 8 जबकि वास्तविक 40 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना गाइडलाइंस से किया गया था। 2 मई को संक्रमित 910 और मृतक 7 थे, जबकि वास्तविक 43 लोगों की मौत हुई थी। 1 मई को संक्रमितों की संख्या 1072 मृतकों की 8 और वास्तविक मृतक 42 थे। 30 अप्रैल को संक्रमितों की संख्या 1105 सरकारी आंकड़ों में मृतकों की संख्या 6 और वास्तव में 37 लोगों की मौत हुई। 29 अप्रैल को संक्रमितों की संख्या 980 मृतकों की 7 और वास्तव में 30 लोगों की मौत हुई थी।
जिले में भले ही ऑक्सीजन की सप्लाई अभी सुचारू रूप से चल रही हो लेकिन लोगों की मौत के आंकड़े कम नहीं हो रहे। दहशत के साए में जी रहे लोग अब परमात्मा से गुहार लगा रहे हैं।