3 दिन की समाधि के बाद सकुशल बाहर आए पुरुषोत्तमानंद महाराज... बोले- मातारानी मेरे सामने प्रगट हुई और मुझे स्वर्गलोक ले गई

Edited By meena, Updated: 04 Oct, 2022 01:35 PM

after 3 days of samadhi purushottamand maharaj came out safely

राजधानी भोपाल के टीटी नगर माता मंदिर के बिल्कुल पीछे भद्रकाली विजयासन दरबार के आध्यात्मिक संस्था के संस्थापक बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज अपनी तीन दिन की भूमिगत समाधि के बाद सोमवार सुबह 11 बजे बाहर आ गए। इस दौरान गुफा मंदिर के महंत रामप्रवेश दास...

भोपाल(विवान तिवारी) : राजधानी भोपाल के टीटी नगर माता मंदिर के बिल्कुल पीछे भद्रकाली विजयासन दरबार के आध्यात्मिक संस्था के संस्थापक बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज अपनी तीन दिन की भूमिगत समाधि के बाद सोमवार सुबह 11 बजे बाहर आ गए। इस दौरान गुफा मंदिर के महंत रामप्रवेश दास महाराज व पुतलीघर के महंत अनिलानंद महाराज भी उपस्थित रहे। बाबा के बाहर आने की खबर को लेकर हर ओर चर्चा थी और जैसे ही आश्रम के सेवादारों ने समाधि वाली जगह से मिट्टी की परत हटाने के बाद एक-एक कर पटियों को हटाया, तो बाबा गड्ढे में शांत भाव से ध्‍यान मुद्रा में बैठे हुए दिखाई पड़े।

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बाबा को सकुशल साधना करते देख भक्‍तों में खुशी की लहर दौड़ गई। इसके बाद अपनी जगह से वो धीरे-धीरे उठे, भगवान को प्रणाम किया व दोनों हाथ उठाकर उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन किया। वही उस दौरान भक्‍तों ने पुष्‍पवर्षा कर बाबा पर फूलों की पंखुड़ियां ऐसे गिराई मानों बाबा ने पुष्पों की नदी में डुबकी लगाई हो। उसके बाद बाबा जब समाधि से बाहर आए, वहां उपस्थित लोगों में उन्हें देखने के लिए हर कोई भीड़ में मशक्कत करने लगा।

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यही नहीं कई तो अपने मोबाइल में बाबा की तस्‍वीरें लेते, वीडियो बनाते भी नजर आए। अपनी 3 दिन की भूमिगत समाधि से बाहर आकर बाबा पुरुषोत्‍तमानंद ने अपने अनुयायियों को सात्‍विक जीवन जीने के लिए कहा और दुराचार से दूर रहने की समझाइस दी। उन्होंने कहा मांस-मदिरा का सेवन न करें। इसी से जीवन का कल्‍याण होगा।

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• गहरे गड्ढे में 3 दिनों तक समाधि की कहानी

आध्यात्मिक संस्था के संथापक पुरुषोत्‍तमानंद ने बाहर आकर तीन दिन तक साधना लीन रहकर समाधि में रहने का अनुभव भी सुनाया। उन्होंने बताया कि समाधिस्‍थ होने बाद मुझे मातारानी का साक्षात्‍कार हुआ। मातारानी मेरे समक्ष प्रकट हुईं और मुझे स्वर्गलोक ले गई। इतना सुंदर सरोवर था। वहां कई प्रकार के पक्षियों को देखा। माताजी शिवलोक ले गईं। वहां ओम-ओम की ध्वनि चल रही थी।

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