Edited By Vikas kumar, Updated: 30 Oct, 2018 05:34 PM
प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर जिले हर तहसील पार्टी के प्रचार में जा रहे हैं, लेकिन अशोकनगर विधानसभा में शिवराज सिंह चौ...
भोपाल: प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर जिले हर तहसील पार्टी के प्रचार में जा रहे हैं, लेकिन अशोकनगर विधानसभा में शिवराज सिंह चौहान बिल्कुल भी नहीं जा रहे हैं, और न ही उनका कोई भी दौरा अशोकनगर में प्रस्तावित है, इसकी वजह है एक मिथक। जी हां, इस मिथक की मानें तो जो मुख्यमंत्री किसी भी कार्यक्रम में अशोकनगर गया है, उसे अपनी सीट गंवानी पड़ी है। इस मिथक के पीछे एसे कई उदाहरण हैं जो किसी भी सीएम शिवराज को वहां पहुंचने से रोकने के लिए काफी हैं
ये गवाह हैं, कि अपशकुनी है अशोकनगर...
- वर्ष 1975 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्रसेठी यहां पार्टी अधिवेशन में आए थे जिसके कुछ समय बाद 22 दिसंबर को उन्हें अपना मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
- वर्ष 1977 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल यहां पर तुलसी सरोवर का उद्घाटन करने पहुंचे, उसी वर्ष प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। और श्यामाचरण शुक्ल को अपना पद गंवाना पड़ा।
- वर्ष 1985 में मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भी यहां पहुंचे थे, जिसके कुछ ही दिनों बाद उन्हें राज्यपाल बनाकर पंजाब भेज दिया, औऱ उन्हें अपना सीएम पद गंवाना पड़ा।
- वर्ष 1988 में मुख्यमंत्री मोतीलाल वोहरा फुट ओवरब्रिज का उद्घाटन करने अशोकनगर पहुचे थे, जिसके कुछ ही समय बाद उन्हें अपने सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
- सन 1992 में मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा जैन समाज के एक कार्यक्रम में शामिल होने अशोकनगर पहुंचे थे। लेकिन कुछ ही समय बाद ही प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया और पटवा को मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा।
- वर्ष 2003 में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह प्रचार करने के उद्देश्य से अशोकनगर गए थे, जिसके बाद चुनाव में कांग्रेस पार्टी हार गई और दिग्विजय सिंह को अपना पद त्यागना पड़ा।
- प्रदेश के लिए ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के सीएम के लिए भी अशोक नगर विधानसभा एक मिथक साबित हुइ, बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव भी इस विधानसभा आए थे, जिसके बाद उन्हें अपना सीएम पद छोड़कर जेल जाना पड़ा था।
यही कारण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अशोक नगर विधानसभा जाने से परहेज कर रहे हैं। अपने इसी मिथक की वजह से ही अशोकनगर को अब मध्यप्रदेश का नोएडा कहना गलत नहीं होगा।