महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक घोटाला: सुमित्रा महाजन बोलीं- उनके बेटे पर नहीं आएगी आंच

Edited By Jagdev Singh, Updated: 25 Oct, 2019 01:53 PM

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मध्य प्रदेश में इंदौर के महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक घोटाले पर अब पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा-मेरा विश्वास है कि मेरे बेटे पर कोई आंच नहीं आएगी। सरकार को घोटाले की फाइलें खोलने दो। इस मामले की कई बार...

इंदौर: मध्य प्रदेश में इंदौर के महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक घोटाले पर अब पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा-मेरा विश्वास है कि मेरे बेटे पर कोई आंच नहीं आएगी। सरकार को घोटाले की फाइलें खोलने दो। इस मामले की कई बार जांच हो चुकी है।

इंदौर के महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक में 30 करोड़ का घोटाला हुआ था. कमलनाथ सरकार अब इसकी फाइल खोल रही है। घोटाले में बीजेपी नेता और पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिंद महाजन का नाम आ रहा है। ताई सुमित्रा महाजन ने अब इस पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा एक बार फिर जांच हो जाने दो,मुझे भरोसा है कि मेरे बेटे पर आंच नहीं आएगी। उन्होंने कहा- हितग्राहियों को सबसे पहले हमने ही 1 -1 लाख रुपए दिलवाए थे।

इंदौर की महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक में 1997 से 2004 के बीच करीब 30 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। उसके बाद 2005 में ये बैंक डूब गई थी जिसमें हजारों लोगों की जीवनभर की कमाई चली गई थ। उस समय बैंक के डायरेक्टर सुमित्रा महाजन के बड़े बेटे मिलिंद महाजन थे। आरोप लगा कि उसी दौरान स्टाफ ने व्यक्तिगत और सामूहिक रुप से भ्रष्ट्राचार किया। अपात्र लोगों को लोन बांट दिया गया जिससे बैंक को करीब 30 करोड़ रुपए की चपत लग गई। जब इस मामले की शिकायतें हुईं तो मिलिंद महाजन समेत 16 लोगों के खिलाफ 2005 में सेंट्रल कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज हुई। उस समय सुमित्रा महाजन केन्द्रीय मंत्री थी और राज्य में बीजेपी की सरकार थी। बाद में पुनर्विवेचना में मिलिंद महाजन का नाम हटा दिया गया। अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है और  इस मामले की फाइलें फिर खोली जा रही हैं।

महाराष्ट्र ब्राह्मण सहकारी बैंक 1927 से 1998 तक फायदे में रही। उसके बाद अचानक ये बैंक बीमार हुई। सहकारिता विभाग ने इसे डी क्लास की श्रेणी में रखा। उसके बाद रिजर्व बैंक और सहकारिता विभाग ने नोटिस और चेतावनी दी। कोई असर होता न देख 5 अक्टूबर 2004 को रिजर्व बैंक ने इस बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया। उस समय बैंक की चार शाखाओं में 11 हजार 500 सौ डिपॉजिटर थे। इनके पूरे जीवन की कमाई चली गई, क्योंकि बैंक के घाटे में चले जाने के बावजूद करोड़ों रुपए के लोन बांट दिए गए।

बैंक में भ्रष्टाचार का ये आलम रहा कि लिफ्ट लगाने के नाम पर 25 लाख रुपए निकाल लिए गए, लेकिन लिफ्ट लगाई नहीं गई। रिकॉर्ड के मुताबिक सुमित्रा महाजन की निजी सचिव वंदना महस्कर के पति बसंत महस्कर ने 35 लाख,विकास पुंडलिक ने 50 लाख रुपए बतौर लोन लिया.जमाकर्ताओं की शिकायत पर सेंट्रल कोतवाली में मिलिंद महाजन सहित 16 लोगों के खिलाफ सेन्ट्रल कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन बाद में मिलिंद महाजन और उनके करीबियों के नाम एफआईआर से हटा दिए गए।

मिलिंद महाजन 1997 से 2004 तक डायरेक्टर रहे. इस दौरान इन सात साल में संचालक मंडल की करीब 350 बैठकें हुईं. उनमें से करीब 290 में मिलिंद भी शामिल हुए। इन्हीं बैठकों में लोन, खरीदी-बिक्री के फैसले हुए थे, लेकिन मामले में तीन लोग बसंत महस्कर,यशवंत डबीर और विकास पुंडलिक को मनमर्जी से लोन बांटने में दोषी साबित हुए। उन्हें 5-5 साल की सजा हुई। बाद में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई।

इस बीच सहकारिता विभाग ने मिलिंद महाजन सहित तत्कालीन संचालकों पर करीब 1 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई जिसकी वसूली आज तक नहीं हो सकी है। इस मामले में बैंक के पूर्व अध्यक्ष रहे अनिल कुमार धडवईवाले ने सीएम कमलनाथ को पूरे दस्तावेजों के साथ शिकायत की जिसके बाद अब ये मामला खुल रहा है। पहले पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी महाराष्ट्र ब्राह्मण बैंक घोटाले की फाइलें खोलने की बात कही थी। उन्होंने कहा था इस घोटाले के आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी। सरकार किसी को नहीं बख्शेगी नहीं।

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