किस्सा कुर्सी का, बात गुना विधानसभा की...

Edited By Vikas kumar, Updated: 30 Oct, 2018 04:10 PM

casey s chair talk of assembly fold

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। चुनावी दौड़ में सभी राजनीतिक दल जोर-शोर से अपना पलड़ा भारी करने में लगे हुए हैं। बात अगर गुना विधानस...

भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। चुनावी दौड़ में सभी राजनीतिक दल जोर-शोर से अपना पलड़ा भारी करने में लगे हुए हैं। बात अगर गुना विधानसभा सीट की करें तो इस विधानसभा में कोई भी जाति ऐसी नहीं कही जा सकती, जो निर्णायक भूमिका निभाती हो। हालांकि यहां पर अनुसूचित जाति जनसंख्या अधिक है। वर्तमान में गुना सीट से भाजपा के पन्नालाल साक्य विधायक हैं, और कांग्रेस संघर्ष करती दिख रही है। क्योंकि गुना के बमोरी से अलग होने के बाद पहले भाजश और फिर भाजपा ने सीट पर कब्जा किया है।

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बात करें 2008 की तो यहां पर भाजश के रविन्द्र सिंह ने कांग्रेस की संगीता मोहन रजक को 12934 मतों से हराया था। भाजश के राजेन्द्र सिंह को जहां 29 हजार 540 वोट तो वहीं कांग्रेस के संगीता मोहन रजक को 16 हजार 606 वोट मिले थे। 

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विधानसभा चुनाव 2008...
कुल मतदाता- 130628

नाम पार्टी प्राप्त मत
राजेन्द्र सिंह भाजश 29540
संगीता मोहन रजक कांग्रेस 16606
जगदीश खटीक आई.एन.डी 15110

 
बात करें 2013 की तो यहां पर बीजेपी के पन्नालाल साक्य ने कांग्रेस के नीरज निगम को 45 हजार 111 मतों से हराया था। पन्ना लाल को 81 हजार 444 वोट तो  कांग्रेस के नीरज निगम को 36 हजार 333 वोट मिले थे।

विधानसभा चुनाव 2013...
कुल मतदाता- 191744

नाम पार्टी प्राप्त मत
पन्नालाल साक्य बीजेपी 81444
नीरज निगम कांग्रेस 36333
जे.पी अहरवार बीएसपी 5297


जातीय समीकरण...
अनूसूचित जाति लगभग 37 हजार, ब्राह्मण 20 हजार, मुस्लिम 19 हजार, आदिवासी व कुशवाह 13-13 हजार, धाकड़ 12 हजार, रघुवंशी 11 हजार, जैन 10 हजार व शेष अन्य मतदाता।

गुना विधानसभा की बड़ी समस्याएं...
गुना की सबसे बड़ी समस्या बड़े उद्योग स्थापित न होने की है। इससे रोजगार के अवसर भी नहीं खुल पा रहे हैं। एस.ई.जेड पार्क तैयार है, लेकिन उसका उपयोग शुरू नहीं हो सका है। स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स की शासन से प्रशासकीय स्वीकृति न मिलने से खेल मैदान अधर में है।

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अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गुना सीट पर एक बार बीजेपी फिर अपना परचम लहराना चाहेगी, वहीं कांग्रेस भी इस सीट को जीतने के लिए पुरजोर मेहनत कर रही है। इस सीट पर मतदाता का रुझान एकतरफा नहीं रहा है यहां कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी का विधायक चुना जाता है, लेकिन पिछले दो बार से यहां जीत हासिल न हो पाने के कारण कांग्रेस अपना पूरा जोर लगा रही है। 

 

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