Edited By Jagdev Singh, Updated: 09 Nov, 2019 12:18 PM
मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकार में तनातनी का माहौल बना हुआ है। अब केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार से धान खरीदने से इंकार कर दिया है। धान उत्पादन में देश में अग्रमी रहने वाले मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों...
भोपाल: मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकार में तनातनी का माहौल बना हुआ है। अब केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार से धान खरीदने से इंकार कर दिया है। धान उत्पादन में देश में अग्रमी रहने वाले मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को केंद्र सरकार ने चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने धान के समर्थन मूल्य पर अलग से बोनस देने का प्रावधान किया तो वह उनसे धान की खरीद नहीं करेगी। केंद्र की इस चेतावनी के बाद राज्य सरकारों में हलचल मच गई है। छत्तीसगढ सरकार ने मोदी सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। वहीं कमलनाथ सरकार की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
वहीं केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय ने साफ कर दिया कि राज्यों के बोनस देने से स्थानीय बाजार बिगड़ता है और ऐसी स्थिति में सरकार पर खरीद का दबाव बढ़ता है। केंद्र के पास धान का बंपर स्टाक है। इसलिए वह धान नहीं खरीदेगा। केंद्र सरकार ने 2019-20 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1815 कामन और ग्रेड ए का 1835 रुपए तय किया है।
गेहूं और धान की खरीद पर केंद्र द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्य अपनी तरफ से बोनस/प्रोत्साहन राशि का ऐलान करते हैं। यह राजनीतिक मुद्दा भी बनता है। मध्य प्रदेश में गेहूं पर 160 रु. प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि पिछले साल देने का ऐलान किया गया था, जो अभी तक दिया नहीं गया है, जिसके चलते किसानों मे नाराजगी है। वहीं केंद्र के इस फैसले ने राज्य सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। मध्य प्रदेश में फिलहाल धान खरीद को लेकर पंजीयन हो रहा है।