Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 04 Jan, 2019 02:43 PM
मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा 2 अप्रैल को हुई जातीय हिंसा में दर्ज मामले वापस लेने संंबंधी घोषणा करने से जिले में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। जिसके बाद गुरुवार शाम को सपाक्स कार्यकर्ता और आरक्षण विरोधी संगठनों से जुड़े लोग फूलबाग चौराहे पर पहुंच गए...
ग्वालियर: मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा 2 अप्रैल को हुई जातीय हिंसा में दर्ज मामले वापस लेने संंबंधी घोषणा करने से जिले में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। जिसके बाद गुरुवार शाम को सपाक्स कार्यकर्ता और आरक्षण विरोधी संगठनों से जुड़े लोग फूलबाग चौराहे पर पहुंच गए। लेकिन पुलिस फोर्स की मुस्तैदी के चलते किसी तरह की कोई दुर्घटना घटित नहीं हुई।
जानकारी के अनुसार, घोषणा की सूचना मिलते ही आरक्षण विरोधी बाइक पर सवार दो लोग फूलबाग चौराहे पर पुतला लेकर आए और उन्होंने आग लगाने की कोशिश की लेकिन पुलिस की भारी मौजूदगी के चलते वह पुतले को आग नहीं लगा सके। इसके बाद आरक्षण विरोधी गुरुद्वारे चौराहे पर पहुंचे और वहां दोबारा पुतला जलाने की कोशिश की। वहां भी पुलिस फोर्स भी पहुंच गया और यहां भी मुख्यमंत्री की घोषणा का विरोध करने वाले अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके। इस दौरान एक युवक को पुलिस ने हिरासत में लिया है।सपाक्स का आरोप है कि सवर्ण समाज के खिलाफ मामले वापस नहीं लिए जा रहे हैं। वहीं एक वर्ग को खुश करने के लिए यह मामले वापस लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि जिस तरह आरक्षण विरोधियों में भाजपा सरकार को हटाया है। इसी तरह का खामियाजा कमलनाथ सरकार को भी भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है ।
बता दें कि,आरक्षण विरोधी उन दलितों पर दर्ज मामले वापस लेने का विरोध कर रहे हैं। जिन पर 2 अप्रैल की घटना में हिंसा फैलाने का आरोप है। हालांकि प्रदेश सरकार ने यह साफ नहीं किया है कि किन-किन लोगों से यह मामले वापस लिए जाएंगे।