Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 01 Jun, 2019 02:52 PM
लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने वाले सासंद व विधायक गुमान सिंह डामोर के पद पर असमंजस की स्थिति बरकरार है। उन पर फैसला फिलहाल दो दिन के लिए टाल दिया गया है। भले ही गुमानसिंह कांग्रेस के गढ़ को ध्वस्त करने में सफल रहे, लेकिन अभी उन्हें ही इस बात...
झांबुआ: लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने वाले सासंद व विधायक गुमान सिंह डामोर के पद पर असमंजस की स्थिति बरकरार है। उन पर फैसला फिलहाल दो दिन के लिए टाल दिया गया है। भले ही गुमानसिंह कांग्रेस के गढ़ को ध्वस्त करने में सफल रहे, लेकिन अभी उन्हें ही इस बात की पूरी छूट नहीं मिली है कि वो किस पद पर बने रहे। सत्रों की माने तो वे सांसद ही बने रहना चाहते हैं। पार्टी के लोगों का कहना है, सभी यही चाहते हैं। उन्हें एक विधानसभा से जीत के बाद आठ विधानसभा के लोगों ने अपना नेता चुना। अगर वो ये पद छोड़ते हैं तो पार्टी को नुकसान होगा। दूसरा विधायक पद के लिए झाबुआ उपचुनाव में पार्टी की सफलता के आसार भी ज्यादा बनेगें।
गुमानसिंह डामोर का कहना है कि, 'मैंने यह चुनाव जीतने के लिए लड़ा था, पार्टी का हर फैसला मंजूर होगा, मैं सांसद पद पर भी खुश हूं और विधायक पद पर भी। वे अकेले ऐसे विधायक हैं, जिन्हें भाजपा ने टिकट दिया था। यदि वे अपना पद छोड़ते हैं तो पार्टी के पास एक विधायक कम हो जाएगा। अगर कमलनाथ सरकार को विश्वास मत साबित करना पड़ा तो इसका फायदा उन्हें मिलेगा। गुमानसिंह को उसी हालत में विधायक बने रहने और सांसद पद छोड़ने के लिए कहा जाएगा, जब भाजपा सरकार गिराने की तैयारी में हो। ऐसा नहीं हुआ तो उपचुनाव का इंतजार किया जाएगा। यह सीट भाजपा जीती तो अभी जैसी स्थिति होगी और अगर कांग्रेस जीती तो सरकार के सिर से लंबे समय तक गिरने का खतरा टल जाएगा।