आदिवासियों के हित और संरक्षण के लिए एक जुट हुए कांग्रेस-जयस, शिवराज सरकार को लेकर बोली ये बात

Edited By Devendra Singh, Updated: 24 Jul, 2022 06:30 PM

congress jays united for profit and protection of tribals

महा आंदोलन में मनावर विधायक हीरालाल अलावा (hiralal alawa) और राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह (jaivardhan singh) सहित प्रदेशभर के दिग्गज आदिवासी नेताओं ने लोगों को संबोधित किया।

गुना (मिसबाह नूर): एमपी में आदिवासियों (tribals of madhya pradesh) पर हो रहे अत्याचार और बमौरी विधानसभा क्षेत्र में पिछले दिनों सामने आई हृदय विदारक घटनाओं के विरोध में जय आदिवासी संगठन प्रदेशभर में लामबंद हो गया है। आदिवासी समुदाय (tribal soceity) के विरोध को कांग्रेस (congress) ने समर्थन दिया है। जयस के आव्हान पर रविवार को गोपालपुरा स्थित दशहरा मैदान पर एक विशाल आंदोलन और सभा का आयोजन किया गया। लगातार हो रही बारिश के बीच भी आंदोलनकारियों ने जयस और कांग्रेस नेताओं को घंटों सुना और बाद में अंत में निर्णय लिया गया कि प्रदेशभर में आदिवासी इन घटनाओं के विरोध में आंदोलन करेगा। शिवराज सरकार (shivraj government) के खिलाफ लामबंद होगा।

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विधानसभा में उठाया जाएगा आदिवासियों को मुद्दा: जयवर्धन सिंह

जयस आदिवासी संगठन और सर्व आदिवासी समाज द्वारा आयोजित महा आंदोलन में मनावर विधायक हीरालाल अलावा (hiralal alawa) और राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह (jaivardhan singh) सहित प्रदेशभर के दिग्गज आदिवासी नेताओं ने लोगों को संबोधित किया। जयवर्धन सिंह ने मध्यप्रदेश सरकार के कुशासन में जमीनों के लिए आदिवासी सहरिया समुदाय की हत्या को लेकर चिंता जताई और और सरकार को चेतावनी दी कि यह मामला विधानसभा में उठाया जाएगा।

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आदिवासियों को किया जा रहा है प्रताड़ित: हीरालाल अलावा   

उन्होंने क्षेत्र में इस तरह की वारदात सामने आने पर चिंता जताई और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chouhan) को घेरते हुए कहा कि मामू के राज में आदिवासियों को पूरा सम्मान नहीं दिया जा रहा है। उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है, प्रताड़ित किया जा रहा है। वहीं विधायक हीरालाल और जयवर्धन सिंह ने विधानसभा में उठाने की बात कही है।

पारम्परिक वेशभूषा में पहुंचे आदिवासी 

बता दें कि बमौरी के धनोरिया गांव में जमीनी विवाद के दौरान राम प्यारी बाई सहरिया को न्याय दिलाने के लिए हुए इस आंदोलन में नेताओं को सुनने के लिए हजारों लोग जमीन पर बैठे नजर आए। आंदोलन की खासियत यह थी कि यहां कोई कुर्सी कोई फर्श नहीं बिछाया गया था। आंदोलनकारी सीधे एक-दूसरे से रूबरू थे। आंदोलन में आदिवासी और जनजातीय समुदाय से कई युवा अपने पारम्परिक वेशभूषा और आदिवासी समुदाय का अभिन्न अंग कहे जाने वाले तीरकमान भी लेकर पहुंचे थे।

 

 

 

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