तो क्या यादव भी थामेंगे BJP का दामन, अरुण के करीबी कांग्रेस विधायक BJP में शामिल

Edited By Vikas kumar, Updated: 23 Jul, 2020 07:46 PM

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सियासत की शतरंज पर कांग्रेस की मोहरें औंधे मुंह गिरते जा रही हैं। इस बार खंडवा की मान्धाता विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक नारायण पटेल ने हाथ का साथ छोड़ भगवा ओढ़ लिया है। इस ...

खंडवा (निशात सिद्दीकी ): सियासत की शतरंज पर कांग्रेस की मोहरें औंधे मुंह गिरते जा रही हैं। इस बार खंडवा की मान्धाता विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक नारायण पटेल ने हाथ का साथ छोड़ भगवा ओढ़ लिया है। इससे पहले नेपानगर से कांग्रेस की विधायक सुमित्रा देवी कास्डेकर ने कांग्रेस को ठेंगा दिखा कर भाजपा में शरण ले ली थी। अब चर्चा है की निमाड़ से दो और कांग्रेस विधायक भाजपा का दामन थमने वाले हैं। यह सभी लोग कांग्रेस के कद्दावर नेता अरुण यादव गुट के सिपहसालार रहे हैं। ऐसे में नुक्कड़ चौराहों पर चर्चा यह भी हो रही हैं कि कहीं यादव भी बीजेपी में न चले जाए?

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पूर्वी और पश्चिमी निमाड़ पर कभी कांग्रेस के दिवंगत नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव का सिक्का चलता था। लेकिन धीरे-धीरे यादव के घर में भाजपा ने अपना झंडा बुलंद कर लिया। सुभाष यादव की मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे अरुण और छोटे बेटे सचिन ने उनकी विरासत संभाली। अरुण यादव ने राजनीति में किस्मत आजमाते हुए बीजेपी के दिग्गज नेता कृष्णमुरारी मोघे को पटखनी देकर अपना वजूद कायम किया। इसके बाद उन्होंने खंडवा संसदीय सीट से सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद कुमार सिंह को चुनाव हराकर ना सिर्फ संसद में अपनी सीट हासिल की बल्कि केंद्र में मंत्री बनकर अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया। हालांकि बाद में उन्हें नंदकुमार ने हराकर अपनी कुर्सी वापस छीनली। लेकिन यादव ने अपने छोटे भाई को भी सियासी राण में विजय दिला कर प्रदेश में मंत्री तक बना लिया। 

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कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद अपने ही गुट को बचाने में अरुण यादव नाकाम रहे। सबसे पहले यादव गुट की नेपानगर विधायक सुमित्रा देवी कास्डेकर ने कांग्रेस का हाथ छटक कर भाजपा का दामन संभाल लिया। फिर अब अरुण यादव के सबसे करीबी नारायण पटेल यादव को गच्चा दे कर बीजेपी की गोद में जाकर बैठ गए। पटेल का भाजपा में चले जाना यादव गुट की गिरती साख को दर्शाता है। इधर चर्चाओं का दौर जारी हैं। एक एक कर कांग्रेस का साथ छोड़ रहे यादव गुट के लोगों में अभी निमाड़ से दो नाम और हैं जो यादव के ही गृह जिले के हैं। सूत्रों की माने तो राखी के पहले वह भी भाजपा में शामिल हो जाएंगे। जिस तरह से यादव गुट के लोग एक के बाद एक भाजपा में शामिल हो रहे हैं इस से राजनितिक हलकों में यह भी चर्चा है कि खुद यादव भी कहीं कांग्रेस का हाथ ना छोड़ दें!

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