gwalior nagar nigam election 2022: क्या कांग्रेस इस बार बीजेपी के अजय किले को ढहा पाएंगी, डोमिनियन पर क्यों मजबूत है BJP

Edited By Devendra Singh, Updated: 10 Jun, 2022 07:46 PM

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ग्वालियर नगर निगम (gwalior nagar nigam) में हमेशा से बीजेपी (bjp) अथवा जनसंघ का बोलबाला रहा है। इस बार नगर सरकार में बीजेपी का मिथक तोड़ने एक बार फिर कांग्रेस (congress) अपना महापौर बनाने के लिए जुगत बैठा रही है। करीब आधी सदी से ज्यादा समय बीत जाने...

ग्वालियर (अंकुर जैन): ग्वालियर नगर निगम (gwalior nagar nigam) में हमेशा से बीजेपी (bjp) अथवा जनसंघ का बोलबाला रहा है। इस बार नगर सरकार में बीजेपी का मिथक तोड़ने एक बार फिर कांग्रेस (congress) अपना महापौर बनाने के लिए जुगत बैठा रही है। करीब आधी सदी से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद कांग्रेस यहां अभी तक अपना महापौर नहीं बनवा सकी है। करीब लगभग 28 साल पहले ग्वालियर नगर निगम परिषद में कांग्रेस के महापौर (mayor) के चुने जाने की संभावना जागी थी। लेकिन पार्टी के 6 पार्षद अपने महापौर पद के प्रत्याशी को वोट नहीं किए। इसके पीछे बताया जा रहा है कि उन्हें सत्तारूढ़ बीजेपी की तरफ से सभापति बनाने का ऑफर देकर तोड़ा गया था।

'अंतरकलह' से टूटी कांग्रेस

ग्वालियर नगर निगम में सिंधिया परिवार (scindia family) का हमेशा से वर्चस्व रहा है। देश की स्वतंत्रता के बाद जहां महल के लोग, जिस भी रुप में रहे उन्हीं की मर्जी से महापौर जीतते रहे हैं। नगर सरकार में लगातार विपक्ष में रहने के कारण कांग्रेस में अंतर कलह भी बीजेपी (bjp) से कहीं ज्यादा है। मौजूदा स्थिति में हालात यह है कि एक अनार सौ बीमार। चाहे पार्षद पद के लिए बात हो अथवा महापौर पद के लिए मंथन बैठक हर वार्ड में एक साथ कई दावेदार पैदा हो गए हैं। यही हाल महापौर पद के लिए भी है। कांग्रेस में महापौर पद के लिए तीन चार नाम चल रहे हैं। इनमें कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार (satish sikarwar) की पत्नी शोभा सिकरवार (sobha sikarwar) को कांग्रेस की ओर से महापौर पद का प्रत्याशी चुन लिया गया है। 

ग्वालियर में कांग्रेस का नहीं बना है आज तक कोई महापौर

वहीं बीजेपी में माया सिंह (maya singh), बीजेपी नेत्री खुशबू गुप्ता, समीक्षा गुप्ता और हेमलता भदौरिया के नाम पर मंथन चल रहा है। दिवंगत कांग्रेस नेता डॉ. रघुनाथ राव पापरीकर के बाद कांग्रेस का कोई भी महापौर पद पर प्रत्याशी नहीं जीत सका है। ग्वालियर नगर निगम में अधिकांश समय भारतीय जनता पार्टी (bjp) अथवा जनसंघ के पार्षदों की संख्या ज्यादा रही है। 1994 में कांग्रेस पार्षदों की संख्या ज्यादा होने के बावजूद वे अपना महापौर नहीं बनवा सके थे। इस मामले में पूर्व महापौर और वर्तमान भाजपा सांसद विवेक नारायण शेजवलकर (vivek shejwalkar) का कहना है कि नगर सरकार अधिकांश समय बीजेपी के आधिपत्य में रही है। इसके पीछे वे कारण बताते हैं कि भाजपा और जनसंघ (jansangh) के लोग सीधे जनता से जुड़े हैं। शहर की नई बस्ती हो अथवा पुरानी बस्ती, बीजेपी ने हर वार्ड का विकास कराया है। दूरदराज पहाड़ी क्षेत्र में भी रहने वाले लोगों को सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराई है। जिससे हर बार लोग बीजेपी के सदस्यों को निर्वाचित कराने में सहयोग करते रहे हैं।

कांग्रेस कर रही है जीत का दावा

लेकिन इसके उलट कांग्रेस के जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा (devendra sharma) मानते हैं कि उनके पार्टी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाली पार्टी है। भाजपा की तरह कांग्रेसियों को झूठे प्रलोभन देना नहीं आते है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड योजना, स्वर्णरेखा के विकास के लिए बनाई गई योजना, रोपवे सहित अमृत योजना की जो हालत है। वह किसी से छुपी नहीं है। बीजेपी शहर के विकास के प्रति कतई गंभीर नहीं है। लेकिन इस बार उन्हें उम्मीद है कि भारतीय जनता पार्टी से कहीं ज्यादा उनके पार्षद नई नगर सरकार (city government gwalior) में चुनकर आएंगे और महापौर का पद कांग्रेस को मिलेगा।

राष्ट्रवादी विचारधारा का ग्वालियर में है बोलबाला 

वहीं वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली बताते हैं कि राष्ट्रवादी विचारधारा (nationalism ideology gwalior) का ग्वालियर में हमेशा से बोलबाला रहा है। आजादी से पहले और आजादी के बाद यहां राष्ट्रवादी सोच को लोगों ने हमेशा तवज्जो दी है। यही कारण है कि लोग स्व. राजमाता विजयराजे सिंधिया (late.vijaya raje scindia) के एक इशारे पर जनसंघ को अपना मत देकर नगर सरकार बनवाते रहे हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस के पास मौका है। बीजेपी (bjp) की अंतर कलह (inter strife in bjp) का लाभ कांग्रेस उठा सकती है। इसलिए कांग्रेस को चाहिए कि वह अपने यहां उठ रही विरोध की आवाजों को समय रहते काबू में करें और भाजपा (bjp gwalior) की कथनी करनी के अंतर को लोगों के बीच पहुंचाए, तभी उसका महापौर बन सकता है।

 

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