Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 07 Jan, 2019 11:53 AM
जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं बद से बदतर हो चलीं हैं जिले भर के स्वास्थ्य साधनों का आलम यह हैं कि लोग भगवान भरोसे जी रहे हैं। जरूरत पड़ने पर इलाज़ के नाम पर ठेंगा दिखा दिया जाता है...
छत्तरपुर: जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं बद से बदतर हो चलीं हैं जिले भर के स्वास्थ्य साधनों का आलम यह हैं कि लोग भगवान भरोसे जी रहे हैं। जरूरत पड़ने पर इलाज़ के नाम पर ठेंगा दिखा दिया जाता है।
मामला छतरपुर जिले के गढ़ीमलहरा थाना क्षेत्र के सिंदुरकी गांव का जहां की रहने वाली नवविवाहिता 24 वर्षीय बबीता अहिरवार पत्नी काशीराम अहिरवार ने एम्बुलेंस में ही बच्चे को जन्म दे दिया है। जिसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल छतरपुर लाया गया है। जहां दोनों की हालत गंभीर बनी हुई है।
परिजनों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज बबीता को लेवर पेन शुरु हुआ। उसकी हालत को देखते हुए परिवार वालों ने पीड़िता को अपने साधन द्वारा गढ़ीमलहरा स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जहां उसका स्थिति और गंभीर होने पर उसे छतरपुर जिले अस्पताल रेफर कर दिया गया और जैसे ही उसे एम्बुलेंस में बिठाया और उसे वहां से ले जाया जाने लगा तो वैसे ही जननी ने बच्चे को एम्बुलेंस में ही जन्म दे दिया। उसी हालत में जैसे-तैसे आपरेट कर जिला अस्पताल लाया गया। तत्काल भर्ती कराया गया। जहां प्रसूता की हालत तो ठीक बताई जा रही है लेकिन बच्चे की हालत गम्भीर बनी हुई है। जिसे एस एन सी यू वार्ड में भर्ती कराया गया है।
मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि बुन्देलखण्ड में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल हैं। जीवन रक्षक व्यवस्थाएं भी भगवान भरोसे चल रहीं हैं। यहां अगर समय रहते जच्चा और बच्चा को जिला अस्पताल न लाया गया होता तो दोनों की जान जा सकती थी।