मां की ममता और डॉक्टरों की मेहनत लाई रंग ! 900 ग्राम की बच्ची को मौत के मुंह से बचाया

Edited By meena, Updated: 19 Jul, 2025 12:55 PM

doctors saved a baby girl born in a premature delivery in shahdol

जब विज्ञान, सेवा और ममता एक साथ मिल जाएं, तो चमत्कार होते हैं। शहडोल जिला अस्पताल के SNCU...

शहडोल (कैशाल लालवानी) : जब विज्ञान, सेवा और ममता एक साथ मिल जाएं, तो चमत्कार होते हैं। शहडोल जिला अस्पताल के SNCU (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में ऐसा ही एक प्रेरणादायक किस्सा सामने आया है, जहां डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की लगन और मां की निःस्वार्थ ममता ने एक बेहद कमजोर बच्ची को नया जीवन दे दिया।

यह कहानी उमरिया जिले के पाली ब्लॉक के ग्राम बर्तरा की है, जहां सुस्मिता सिंह ने मात्र सात माह के भीतर, यानी नियत समय से ढाई महीने पहले, 2 जून को घर पर ही एक बच्ची को जन्म दिया। जन्म के समय बच्ची का वजन महज 900 ग्राम था, जो सामान्य वजन से काफी कम माना जाता है। बच्ची की हालत बेहद नाजुक थी। उसके फेफड़े विकसित नहीं हो पाए थे और उसे सांस लेने में गंभीर परेशानी हो रही थी।

परिवार ने बिना देरी किए बच्ची को शहडोल जिला अस्पताल के SNCU में भर्ती कराया, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने तत्काल उपचार शुरू किया। बच्ची को CPAP मशीन पर रखा गया ताकि उसे सांस लेने में मदद मिल सके। डॉक्टरों ने साथ ही जरूरी दवाएं देना शुरू किया, जिससे शरीर के जरूरी अंगों का कार्य सुचारु रूप से हो सके।

इलाज के साथ ममता की गर्माहट

बच्ची की हालत को देखते हुए मेडिकल टीम ने मां को "कंगारू मदर केयर" (KMC) के लिए प्रशिक्षित किया। इसके तहत मां को हर दो घंटे में बच्ची को त्वचा से त्वचा का स्पर्श देना था, जिससे उसे मां की गर्माहट और सुरक्षा मिल सके। साथ ही मां को स्तनपान तकनीक, हैंड वॉशिंग और मानसिक संबल की निरंतर ट्रेनिंग दी जाती रही। इस दौरान ट्यूब और सीरिंज की मदद से 2-2 एमएल दूध देना शुरू किया गया और धीरे-धीरे इसकी मात्रा को बढ़ाया गया।

फिर बिगड़ी तबीयत, लेकिन नहीं मानी हार

लगभग 30 दिनों के बाद बच्ची की तबीयत एक बार फिर बिगड़ी, लेकिन SNCU की सतर्क टीम ने समय रहते पुनः इलाज शुरू कर बच्ची की जान बचाई। इलाज के 45 दिनों बाद बच्ची का वजन बढ़कर 1.380 किलोग्राम हो गया, और जब सभी जरूरी स्वास्थ्य जांचें सामान्य आईं, तो परिजनों के अनुरोध पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

स्टाफ की भारी कमी, फिर भी अडिग जज्बा

SNCU प्रभारी और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.सुनील हथगेल ने बताया कि यह केस पूरी टीम के लिए एक बड़ी चुनौती था। पिछले दो महीनों से अस्पताल में चार बाल रोग विशेषज्ञों के स्थानांतरण के कारण स्टाफ की भारी कमी है, लेकिन इसके बावजूद सभी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने पूरी निष्ठा से काम करते हुए बच्ची की जान बचाई।

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