MP में इस साल नहीं होंगे नगरीय निकाय चुनाव, लॉटरी से होगा मेयर के पदों का आरक्षण

Edited By Vikas kumar, Updated: 22 Aug, 2019 12:01 PM

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प्रदेश के 16 नगर निगम, 98 नगर पालिका और 272 नगर परिषद का चुनाव टलना लगभग तय हो गया है। नगरीय निगम एवं आवास विभाग ने निकायों की सीमा बढ़ाने-घटाने से लेकर महापौर व अध्यक्ष पद के आरक्षण के लिए समयसीमा घोषित कर दी है। 15 अगस्त 2019 तक निकायों की सीमा...

भोपाल: प्रदेश के 16 नगर निगम, 98 नगर पालिका और 272 नगर परिषद का चुनाव टलना लगभग तय हो गया है। नगरीय निगम एवं आवास विभाग ने निकायों की सीमा बढ़ाने-घटाने से लेकर महापौर व अध्यक्ष पद के आरक्षण के लिए समयसीमा घोषित कर दी है। 15 अगस्त 2019 तक निकायों की सीमा बढ़ाने या घटाने के लिए कलेक्टरों ने जो प्रारंभिक प्रकाशन कर दिया है, वे ही मान्य किए जाएंगे। वहीं, शासन स्तर पर महापौर-अध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण का काम लॉटरी के माध्यम से 15 फरवरी 2020 को होगा। वही वार्ड परिसीमन की प्रक्रिया ही अब अक्टूबर-नवंबर में हो पाएगी। इससे चुनाव अगले साल होंगे। 

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वहीं सूत्रों के मुताबिक नवंबर-दिसंबर में निकाय और जनवरी-फरवरी में पंचायत चुनाव होने वाले थे। लेकिन सरकार लोकसभा चुनाव के बाद इतने कम समय में पंचायत चुनाव में नहीं जाना चाहती। इसलिए सरकार ने चुनाव को आगे बढ़ाने के लिए प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह की अध्यक्षता में पंचायतराज संस्था और लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा की अध्यक्षता में निकाय चुनाव में सुधार के लिए मंत्रीपरिषद समिति बना दी है। 

ऐसे होगी प्रक्रिया
विभाग ने कलेक्टरों से कहा है कि निकायों की सीमा बढ़ाने या घटाने के प्रारूप पर दावे-आपत्तियों का प्रतिवेदन 30 अगस्त तक शासन को भेजा जाए। इनका निराकरण 20 नवंबर तक शासन स्तर से करके अंतिम प्रकाशन होगा। वार्डों की संख्या के निर्धारण की अधिसूचना कलेक्टर 17 अक्टूबर तक जारी करेंगे। दावे-आपत्तियों पर मत सहित प्रतिवेदन अंतिम प्रकाशन के लिए शासन को 31 अक्टूबर तक भेजना होगा। शासन 15 नवंबर तक अंतिम प्रकाशन करेगा। वार्डों के आरक्षण की कार्यवाही कलेक्टर 30 दिसंबर तक पूरी करेंगे। इसकी जानकारी 10 जनवरी 2020 तक शासन को भेजेंगे और शासन अधिसूचना 30 जनवरी तक जारी करेगा। महापौर और अध्यक्ष के पदों का आरक्षण शासन द्वारा 15 फरवरी को किया जाएगा।

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सूत्रों के मुताबिक मंत्री सज्जन सिंह वर्मा की अगुवाई वाली मंत्रिपरिषद की समिति ने महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली यानी पार्षदों के माध्यम से कराने की सिफारिश की है। अभी पार्षदों के साथ महापौर के लिए भी मतदाता मतदान करते हैं। अभी निकायों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा होने पर चुनाव कराने की स्थिति न होने पर वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। 

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