लटेरी गोलीकांड: सरकार के रैवेय से नाराज फॉरेस्ट के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सरेंडर किए हथियार

Edited By meena, Updated: 16 Aug, 2022 07:22 PM

forest officers and employees surrendered their weapons

मध्यप्रदेश वन विभाग के अंतर्गत वन सुरक्षा के लिए विभिन्न परिक्षेत्रों, वन चौकियों को उपलब्ध शासकीय सर्विस रिवॉल्वर एवं शासकीय बंदूकों को आज वन विभाग ने जमा करा दिया है। स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स राजपत्रित एसोसिएशन मध्यप्रदेश भोपाल के निर्देश पर...

लटेरी(अमित रैकवार): मध्यप्रदेश वन विभाग के अंतर्गत वन सुरक्षा के लिए विभिन्न परिक्षेत्रों, वन चौकियों को उपलब्ध शासकीय सर्विस रिवॉल्वर एवं शासकीय बंदूकों को आज वन विभाग ने जमा करा दिया है। स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स राजपत्रित एसोसिएशन मध्यप्रदेश भोपाल के निर्देश पर प्रदेश भर से सरकारी हथियार जमा किए गए। मध्यप्रदेश वन विभाग अन्तर्गत सम्पूर्ण वन अमला वन रक्षक से लेकर रेंजर तक ने सरकारी हथियार जमा किए।

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दरअसल, गुना और विदिशा में आदिवासियों पर फायरिंग को लेकर सरकार की कार्रवाई से स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफीसर्स राजपत्रित एसोसिएशन मध्य प्रदेश भोपाल ने नाराजगी जताई थी। उसी के विरोध स्वरूप दिनांक 16 अगस्त 2022 को मध्यप्रदेश में समस्त जिला मुख्यालय एवं वन मण्डल स्तर पर वन अमले को प्रदाय शासकीय बंदूक एवं शासकीय रिवॉल्वर वापिस जमा कराई गई हैं।एसोसिएशन ने विरोध स्वरुप एक पत्र जारी किया था जिसमें कहा गया था कि मध्यप्रदेश शासन वन विभाग द्वारा वन सुरक्षा में संलग्न वन अमले को शासकीय बंदूकें एवं रिवाल्वर उपलब्ध कराई गई थी, जो केवल नाम मात्र के लिए शोपीस बनी हुई है।

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मध्यप्रदेश शासन वन विभाग के द्वारा न तो आज दिनांक तक वन अमले को दण्ड प्रक्रिया सहिता 1973 की धारा 45 के तहत सशस्त्र बल (Armed forces) घोषित नहीं किया गया है। और ना ही वन सुरक्षा के दौरान बंदूक चालन के संबंध में दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 197 के तहत मध्यप्रदेश पुलिस एवं वन विभाग शासन से कोई स्पष्ट प्रोटोकॉल फालो करते हुए (मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए) शासकीय वन कर्मचारियों एवं वनाधिकारियों को कोई संरक्षण आज दिनांक तक प्रदान नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में वन अमले को प्रदाय शासकीय रिवाल्वर एवं बंदूक प्रदाय किए जाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है। उल्टा वन सुरक्षा के दौरान शासकीय बंदूकों के चालन के दौरान क्षेत्रीय वनाधिकारियों एवं वन कर्मचारियों पर अपराधिक प्रकरण दर्ज किए जा रहे हैं। जिससे क्षेत्रीय वन अमला हतोत्साहित होकर स्वयं को असुरक्षित एवं असहज महसूस कर रहा है। वहीं दिन-प्रतिदिन क्षेत्रीय वन अमले को बन माफिया एवं शिकारियों के साथ मुठभेड का सामना करना पड़ रहा है, जिसका जीता जागता उदाहरण गुना एवं विदिशा में हुए गोली चालन की दुःखद घटना है।

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