Edited By suman, Updated: 11 Sep, 2018 11:53 AM
भारतीय रक्षा के प्रमुख संस्थान हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड ने एयरफोर्स के साथ मिलकर इतिहास रच दिया है। इसका साक्षी ग्वालियर का आसमान बना है। देश में पहली बार भारतीय वायुसेना के तेजस विमान में सफलतापूर्वक एरियल रिफ्यूलिंग की गई। इस सफलता के लिए...
ग्वालियर : भारतीय रक्षा के प्रमुख संस्थान हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड ने एयरफोर्स के साथ मिलकर इतिहास रच दिया है। इसका साक्षी ग्वालियर का आसमान बना है। देश में पहली बार भारतीय वायुसेना के तेजस विमान में सफलतापूर्वक एरियल रिफ्यूलिंग की गई। इस सफलता के लिए भारत विश्व के चुनिंदा देशों में शामिल किया गया है। अब लड़ाई के दौरान हमारे लड़ाकू विमान बिना रुके दुश्मन से लड़ सकते हैं।
रिफ्यूल करने के लिए उन्हें लैंड करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
तेजस का विकास करने वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के मुताबिक, सुबह करीब 9.30 बजे मध्य प्रदेश में ग्वालियर के आसमान में 20 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय वायु सेना के रूस निर्मित एमकेआइ टैंकर विमान आइएल-78 के जरिये तेजस एलएसपी-8 विमान में 1900 किलोग्राम ईंधन भरा गया। इस दौरान तेजस की गति 270 नॉट थी।
एचएएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आर. माधवन के का कहना है कि इस उपलब्धि के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने सैन्य विमानों में एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग की प्रणाली विकसित कर ली है।