Edited By suman, Updated: 15 Sep, 2018 12:35 PM
केंद्र व राज्य सरकार द्वारा भले ही बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाए जाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर योजना का क्रियांवयन किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे बुंदेलखंड में मिल रहे है। केंद्र सरकार की टीम ने भी...
छतरपुर : केंद्र व राज्य सरकार द्वारा भले ही बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाए जाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर योजना का क्रियांवयन किया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे बुंदेलखंड में मिल रहे है। केंद्र सरकार की टीम ने भी बुंदेलखंड दौरे के दौरान सबसे ज्यादा कुपोषण के शिकार बच्चे पाए थे। जिस पर प्रशासन ने भी चुप्पी साध ली थी। महज महिला बाल विकास विभाग ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधियों द्वारा चिंता जताए जाने पर विधानसभा में राज्य की सरकार ने भी राज्य में कुपोषण को लेकर चिंता जताई है।
विशेष रूप से छतरपुर जिले में कुपोषित बच्चों की लगातार बढ़ रही संख्या इस पूरे मामले की व्यवस्था और विभाग के विशेष अभियान को कटघरे में खड़ा करने वाली मानी जा सकती है। एक ओर जिला प्रशासन संबंधित विभाग के संबंध में कह चुका है कि यदि विभाग द्वारा लापरवाही बरती जा रही है तो कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जिले में कुपोषित बच्चों के इलाज और उन्हें चिंहित किए जाने के मामले में लगातार लापरवाही की खबरे सुर्खिया बन रही है और प्रशासन मौन है।
अप्रैल 2017 से जुलाई 2018 तक करीब डेढ़ वर्ष में ही जिले में कुपोषित बच्चों के आंकड़ों पर नजर डाले तो मार्च 2018 तक 429 कुपोषित बच्चों की जानकारी जिले से उपलब्ध कराई गई है। इस तरह सितंबर 2018 तक कुपोषित बच्चों की संख्या 224 से भी अधिक है। जिले के कुपोषित बच्चों को चिहिंत कर उनका जिले में संचालित एनआरसी भवनों में भर्ती कराकर उपचार कराए जाने की व्यवस्था तो है लेकिन जिले में संचालित इस व्यवस्था को लेकर भी लापरवाही की स्थिति बनी रहती है।