Edited By suman, Updated: 07 Feb, 2019 04:44 PM
सरकार भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का ढोल पीटती रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इंदौर में ऐसा मामला सामने आया है, जिससे स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलकर रख दी है। शहर में डेढ़ साल की एक अतिकुपोषित बच्ची मिली है, जिसका वजन चार...
इंदौर: सरकार भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का ढोल पीटती रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इंदौर में ऐसा मामला सामने आया है, जिससे स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलकर रख दी है। शहर में डेढ़ साल की एक अतिकुपोषित बच्ची मिली है, जिसका वजन चार किलो है। जबकि उम्र के हिसाब से उसका वजन 9-11 किलो होना चाहिए। चाइल्ड लाइन ने बच्ची को चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती करवाया है।
जानकारी के अनुसार बच्ची को पहले भी पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराया गया था। लेकिन इसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने कोई फॉलोअप नहीं लिया। जबकि उन्हें चार बार फॉलोअप लेना चाहिए था।
महिला एवं बाल विकास विभाग पर सवाल
चाइल्ड लाइन के जितेंद्र परमार ने बताया कि हम सुबह वहां से गुजर रहे थे, तभी हमारी नजर बच्ची पर पड़ी। उसके माता-पिता ने बताया कि उसे 2-14 अगस्त तक चाचा नेहरू के एनआरसी में भर्ती करवाया गया था। मामला सामने आने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जब बच्ची इतनी कुपोषित है तो उसका फॉलोअप क्यों नहीं लिया गया?
अस्पतालों में भी बरती जा रही लापरवाही
वहीं, जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा ने बताया कि बच्ची को पहले भी एनआरसी में भर्ती करवाया गया था। बाद में उसके माता-पिता ने उसे भर्ती करवाने से मना कर दिया। वे बच्ची का इलाज निजी डॉक्टर से करवा रहे हैं। जिला अस्पतालों में एनआरसी स्थापित नहीं है, लेकिन यहां के रिकॉर्ड देखें को बच्चों का फालोअप ठीक से नहीं होता है। इसका औसत 60-65 प्रतिशत है। स्वास्थ्य विभाग चार बार फालोअप को महत्वपूर्ण मानता है।