Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 25 Mar, 2019 08:50 AM
पानी के बटवारे को लेकर केन-बेतवा लिंक परियोजना एमपी और यूपी में हमेशा विवाद का कारण का कारण रही है। केंद्र जहां उप्र का पक्ष लेता रहा है, वहीं सत्ता परिवर्तन के बाद मप्र ने उप्र को मांग के अनुसार पानी देने से इंकार कर दिया है। पानी को लेकर बंटवारे...
भोपाल: पानी के बटवारे को लेकर केन-बेतवा लिंक परियोजना एमपी और यूपी में हमेशा विवाद का कारण का कारण रही है। केंद्र जहां उप्र का पक्ष लेता रहा है, वहीं सत्ता परिवर्तन के बाद मप्र ने उप्र को मांग के अनुसार पानी देने से इंकार कर दिया है। पानी को लेकर बंटवारे को लेकर फैसला दिल्ली में होने वाली बैठक होगा। वहीं लोकसभा चुनाव से पहले दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर उपजा विवाद चुनाव में मुद्दा बन सकता है।
जानकारी के अनुसार, परियोजना के शुरुआती दौर में उप्र सरकार ने रबी सीजन के लिए इस बांध से 700 एमसीएम पानी की मांग की थी, लेकिन बाद में 900 एमसीएम पानी मांगा गया। दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर तैयार की गई डीपीआर में उप्र को 930 एमसीएम पानी देने का जिक्र है। मप्र जल संसाधन विभाग के अफसरों ने 700 एमसीएम से ज्यादा पानी देने से इनकार कर दिया है। इसे लेकर पिछले साल मप्र से लेकर दिल्ली तक बैठकें हुईं, लेकिन समाधान नहीं निकला। वे जल संसाधन विभाग के अफसरों से भी मिले थे। जल संसाधन विभाग ने साफ कर दिया कि उप्र को 700 एमसीएम से ज्यादा पानी नहीं दिया जा सकता है। इसलिए यह मामला उलझता चला गया और एक बार फिर दिल्ली में इसका समाधान किया जाएगा। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अफसरों के साथ मप्र व उप्र के अफसर बैठेंगे।
केन-वेतवा लिंक परियोजना की पर्यावरण स्वीकृति के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी 27 से 30 मार्च तक पन्ना नेशनल पार्क और उससे सटे बांध के हिस्से का निरीक्षण करेगी। यह कमेटी परियोजना की तैयारियों और बांध से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।