भिंड में खत्म हो रही है मृत्युभोज जैसी कुप्रथा, इसके पैसों से संवारा मुक्तिधाम

Edited By Vikas kumar, Updated: 01 Jan, 2019 03:26 PM

it s going to end slowly mischief

मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के भिंड जिले में अपनों के निधन पर होने वाले मृत्युभोज की कुप्रथा अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है। भिंड जैसे रूढिवादी जिले में मृत्युभोज को लेकर बडा सामाजि...

भिंड: मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के भिंड जिले में अपनों के निधन पर होने वाले मृत्युभोज की कुप्रथा अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है। भिंड जैसे रूढिवादी जिले में मृत्युभोज को लेकर बडा सामाजिक बदलाव आ रहा है। इसी का परिणाम है कि साल 2018 में कई लोगों ने मृत्युभोज से इंकार कर उस पर खर्च होने वाली राशि को सामाजिक और विकास कार्यों पर खर्च किया। पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह की माता उर्मिला सिंह के निधन के बाद कल उनके निवास पर हुई शोकसभा के दौरान पूर्व विधायक और उनके परिवार ने मृत्युभोज नहीं कराने का संकल्प लिया। पूर्व विधायक के इस निर्णय की चहुंओर सराहना की जा रही है। 


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इसके पहले अटेर क्षेत्र के मसूरी गांव के डॉ शैलेंद्र परिहार के पिता के निधन के बाद जब वे अपने पिता का अंतिम संस्कार करने मुक्तिधाम पर पहुंचे तो वहां की दुर्दशा देख उन्होंने उसे संवारने का संकल्प लेते हुए मृत्युभोज को भी इंकार करने का निर्णय किया। उन्होंने तय किया कि मृत्युभोज पर खर्च होने वाली राशि से मुक्तिधाम संवारेंगे। इसी क्रम में उन्होंने मुक्तिधाम की ओर जाने वाली सीसी रोड बनवाई। जिले के समाजसेवी मनोज दैपुरिया ने भी अपनी मां कलावती दैपुरिया के निधन पर मृत्युभोज नहीं कराया, बल्कि उस पर खर्च होने वाली राशि को सामाजिक कार्यों में खर्च करने का संकल्प लिया। उन्होंने अपनी मां की याद में निर्धन बुजुर्गों को तीर्थयात्रा कराई।
 

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