लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने खेला दांव, कंप्यूटर बाबा को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

Edited By suman, Updated: 10 Mar, 2019 04:21 PM

kamal nath government played big wager before the lok sabha elections

शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले कंम्यूटर बाबा को अब कमलनाथ सरकार में भी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। कमलनाथ सरकार ने इंदौर के गोम्मटगिरी आश्रम के नांमदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा को माँ नर्मदा, माँ क्षिप्रा, माँ मंदाकिनी नदी न्यास...

भोपाल: शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा पाने वाले कंप्यूटर बाबा को अब कमलनाथ सरकार में भी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। कमलनाथ सरकार ने इंदौर के गोम्मटगिरी आश्रम के नांमदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा को माँ नर्मदा, माँ क्षिप्रा, माँ मंदाकिनी नदी न्यास का अध्यक्ष बनाया गया है। सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए है, जो तत्काल प्रभाव से लागू माना जाएगा। इससे पहले शिवराज सरकार ने  उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया था लेकिन उन्होंने शिवराज पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया था। कंप्यूटर बाबा ने राज्‍य सरकार पर धर्म और संत समाज की उपेक्षा करने के आरोप लगाए थे। सरकार द्वारा गो मंत्रालय बनाए जाने की घोषणा पर सवाल उठाने के साथ ही उन्होंने सरकार से अलग नर्मदा मंत्रालय बनाने की मांग की थी।

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कंप्यूटर बाबा ने खोला था शिवराज के खिलाफ मोर्चा
दरअसल, बीते साल शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कंम्प्यूटर बाबा वोटिंग के पहले कांग्रेस के समर्थन में उतर आए थे।  उन्होंने कांग्रेस के भावी मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भरोसा जताया था कि उनके सरकार आते ही अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शिवराज सरकार में उन्हें राज्यमंत्री का भी दर्जा दिया गया था, हालांकि उन्होंने नाराजगी के चलते पद को त्याग दिया था। इसके बाद से ही वे बीजेपी और शिवराज के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रचार-प्रसार किया था। वहीं प्रदेश में सत्ता परिवर्तित होते ही वह कांग्रेस के समर्थन में उतर आए थे। वे मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में भी विशेष अतिथि पर शामिल हुए थे। कांग्रेस नेता भी लगातार उनके संपर्क में बने हुए थे।
 

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कांग्रेस ने खेला बड़ा दांव
कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार नवीन अध्यात्म विभाग का गठन कर बाबा को बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। लेकिन इससे पहले ही सरकार ने उन्हें  नदी न्यास का अध्यक्ष बना बड़ा दांव खेल लिया। बाबा को अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने संतों को साधने की कोशिश की है। विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी वे बीजेपी का विरोध करने की तैयारी में है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिलना तय है। वही बीजेपी की मुश्किलें बढ़ने की संभावना है।

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