कमलनाथ का शिवराज से सवाल नं 9, मामा ने आदिवासियों को क्यों दिखाए झूठे सपने

Edited By Vikas kumar, Updated: 28 Oct, 2018 12:27 PM

kamalnath ask 9th question from shivarj

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ शिवराज सरकार को घेरने के लिए के लिए 19 अक्टूबर से 40 दिन 40 सवाल का सिलसिला शुरू किया है, जिसको लेकर रविवार को उन्होनें नौवां प्रश्न पूछा है। इस बार उन्होंने आदिवा...

भोपाल: कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ शिवराज सरकार को घेरने के लिए के लिए 19 अक्टूबर से 40 दिन 40 सवाल का सिलसिला शुरू किया है, जिसको लेकर रविवार को उन्होनें नौवां प्रश्न पूछा है। इस बार उन्होंने आदिवासियों के मुद्दे को लेकर शिवराज सरकार को घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया है कि, मोदी सरकार ने दी अंदर की दर्दनाक ख़बर, मामा ने किया लाखों आदिवासी भाइयों को 'घर-बदर'। मामा,आदिवासियों के सपनों को क्यों रौंदा? क्यों छीन लिया उनका घरौंदा?

 

 

कमलनाथ ने शिवराज से आज प्रश्न पूछा है कि...  

  • केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 2006 में 10 करोड़ आदिवासी भाइयों को वनों में रहने और वनोपज से आजीविका का अधिकार सुनिश्चित किया।
  • देश में सबसे ज़्यादा आदिवासी भाई मप्र में निवास करते हैं;और मप्र और छत्तीसगढ़ ,दो ऐसे भाजपा शासित राज्य हैं जिन्होंने आदिवासियों के वनों में रहने के अधिकार को रौंदा।
  • मप्र में 6 लाख 63 हज़ार 424 आदिवासी परिवारों ने वन में निवास और सामुदायिक उपयोग के लिए मामा सरकार को आवेदन किया।
  • मामा ने निर्दयतापूर्वक 3 लाख 63 हज़ार 424 परिवारों के आवेदन को अवैधानिक तरीके से निरस्त कर दिया । लगभग 18 लाख़ आदिवासी भाइयों के सपनो को रौंद दिया ।
  • इसमें 1.54 लाख़ अनुसूचित जाति, पिछडा वर्ग के परिवारों ने भी दावे किये थे। उनमें से 1.50 लाख़ ,अर्थात 97.9% दावे ख़ारिज कर दिए गए। राज्य के 42 जिलों में इस श्रेणी के 100% दावे ख़ारिज किए गए ।
  • संसद द्वारा बनाये गए कानून के मुताबिक यह तय किया गया कि ग्राम वन समिति द्वारा दावों का सत्यापन करके, उन्हें स्वीकृत किया जाएगा।
  • फिर विकासखंड स्तरीय समिति उन्हें मान्यता देगी। 
  • यहाँ ग्राम वन समिति, ग्राम सभा और विकासखण्ड स्तरीय समिति ने सभी दावों को मान्य किया । किन्तु इन सबके बावजूद शिवराज ने आदिवासी भाइयों के अधिकारो को निर्ममता पूर्वक रौंद दिया।
  • गंभीर कुपोषण से प्रभावित कोल और मवासी आदिवासी बहुल जिले सतना में 8466दावो मे से 6398दावे,अर्थात 75.6%दावे निरस्त किए गए,सीधी मे 78%,उमरिया मे 63%,सिवनी में 67.4%,पन्ना में झाबुआ में 65.5%
  • व्यापक तौर पर वनाधिकार कानून के तहत अधिकतम 4 हेक्टेयर पर अधिकार देने का प्रावधान है,मगर मध्यप्रदेश में औसतन मात्र 1.4 हेक्टेयर पर यह अधिकार दिए गए 
  • आदिवासी बहुल झाबुआ में 1 हेक्टेयर , अलीराजपुर में 1.2हेक्टेयर ,मंडला में 1.4 हेक्टेयर ,बालाघाट में 1.2हेक्टेयर ।
  • इसी प्रकार सीधी में औसतन 0.5 हेक्टेयर ,अनूपपुर में 0.7हेक्टेयर, शहडोल में0.3 हेक्टेयर, इत्यादि ।आश्चर्यजनक रूप से भोपाल आदिवासी जिला न होते हुए भी यहाँ औसतन 7.2 हेक्टेयर ज़मीन का अधिकार दिया गया । 
  • भोपाल में 7391 हेक्टेयर भूमि पर 1026 दावे स्वीकृत किये गए। इनमें से आदिवासी भाइयों के सिर्फ़ 210 दावे थे ।

- 40 दिन 40 सवाल - मोदी सरकार के मुँह से जानिए मामा सरकार की बदहाली का हाल। "हार की कगार पर मामा सरकार"।

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