कमलनाथ सरकार कंप्यूटर बाबा को दे सकती है इस विभाग जिम्मेदारी

Edited By suman, Updated: 31 Dec, 2018 09:43 AM

kamalnath government can give computer to baba

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने नवीन अध्यात्म विभाग के गठन का निर्णय लिया है। नये विभाग में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व तथा आनंद विभाग संविलियित रहेंगे। साथ ही अभी तक कार्यरत धार्मिक न्यास तथा धर्मस्व संचालनालय, तीर्थ एवं मेला प्राधिकरण, मुख्यमंत्री...

भोपाल: मुख्यमंत्री कमल नाथ ने नवीन अध्यात्म विभाग के गठन का निर्णय लिया है। नये विभाग में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व तथा आनंद विभाग संविलियित रहेंगे। साथ ही अभी तक कार्यरत धार्मिक न्यास तथा धर्मस्व संचालनालय, तीर्थ एवं मेला प्राधिकरण, मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना संचालनालय और राज्य आनंद संस्थान बंद होंगे। इन सभी विभागों का काम आध्यात्म विभाग से चलेगा। नए विभाग में कंप्यूटर बाबा को सरकार बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है। 

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सर्वधर्म समभाव के लिये बनेगा नया विभाग
अध्यात्म विभाग के गठन का उद्देश्य सभी धर्मों, पंथों और आस्थाओं को समाहित करते हुए प्रदेश में अंतर साम्प्रदायिक सद्भाव और सर्वधर्म समभाव को मजबूत करना है। अमेरिका, इंग्लैण्ड, अर्जेंटीना, अफगानिस्तान, अल्जीरिया, बांग्लादेश, ब्रूनेई, म्यांमार, ट्यूनीशिया, इण्डोनेशिया, डेनमार्क जैसे  अनेक देशों में विभिन्न नाम से अध्यात्मिक मामलों का विभाग कार्यरत है।

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इन विभागों कार्य समान
धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग द्वारा शासन संधारित मंदिरों का जीर्णोद्धार, पुजारियों को मानदेय, धर्मशाला निर्माण, धार्मिक स्थलों की यात्रा, तीर्थ एवं मेला विकास के कार्य किये जाते हैं। आनंद विभाग का उद्देश्य भी नागरिकों की खुशहाली एवं परिपूर्ण जीवन उपलब्ध कराना है। यह उद्देश्य भी प्रस्तावित अध्यात्म विभाग में अपने आप ही समाहित होगा। अध्यात्म धर्म का विरोधी नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य और सार्वभौम चेतना के अनुभव पर बल देता है। विकसित देशों के विभिन्न अस्पतालों में भी डिपार्टमेंट ऑफ स्पिरिचुअल केयर होता है।

 

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अध्यात्म विभाग के उद्देश्य
प्रस्तावित अध्यात्म विभाग के उद्देश्यों में सभी समुदायों में एक कॉमन विजन और अपनत्व बोध का विकास, विभिन्न पृष्ठभूमि और परिस्थितियों के लोगों की विविधता का सम्मान करते हुए उनमें आपसी समझ और सौहार्द का विकास, जिम्मेदार नागरिक का विकास, भ्रूण हत्या, स्वच्छता मिशन और साम्प्रदायिक तनावों के समय शांति स्थापना, गौ-वंश संरक्षण जैसे विषयों में विभिन्न धर्मगुरुओं के माध्यम से प्रेरणा संचार, संत शक्ति का रचनात्मक उपयोग, लोक न्यास, औकाफ, धार्मिक मेलों, तीर्थों, तीर्थ-यात्राओं आदि का उचित प्रबंधन, आनंद की अवधारणा का नियोजन, नीति निर्धारण और क्रियान्वयन शामिल हैं।

 

 

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