बुजुर्ग दंपति से पहले जमीन छीनी, फिर मकान तोड़ा, अब इस हाल मे कर रहे गुजर-बसर.. देखिए तस्वीरें

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 20 Dec, 2020 06:47 PM

land seized before elderly couple then house broken

चारो तरफ जंगलनुमा माहौल, आसपास न कोई घर न इंसान, जहां आने और जाने में लेनी पड़े इजाजत, अगर कोई मुसीबत आ जाये, तो दूर दूर तक कोई भी सुनने वाला नहीं। कुछ ऐसे ही हालात ...

छतरपुर (राजेश चौरसिया): चारो तरफ जंगलनुमा माहौल, आसपास न कोई घर न इंसान, जहां आने और जाने में लेनी पड़े इजाजत, अगर कोई मुसीबत आ जाये, तो दूर दूर तक कोई भी सुनने वाला नहीं। कुछ ऐसे ही हालात में अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर है छतरपुर जिले के बम्होरी पुरवा गांव के बुजुर्ग दंपति। मामला लवकुशनगर तहसील के अंतर्गत आने वाले बम्होरी पुरवा मौजे गांव का है। जहां 70 वर्षीय बुजुर्ग बच्चीलाल कुशवाहा और उनकी पत्नी जगिया खेत में बने कच्चे मकान और बगिया के बीच अपने बुढ़ापे का गुजर बसर कर रहे हैं।

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दरअसल बच्चीलाल को ये जमीन सन 1978  में मौजा बमोरी पुरवा में राजस्व एवं वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से स्वत्व एवं आधिपत्य में प्रदान की गई थी। जिसका रकबा 2 हेक्टेयर था। शासन से जमीन मिलने के बाद बच्ची लाल ने इस अनुपजाऊ, उबड़-खाबड़ जमीन को अपनी मेहनत से काबिल कास्त बनाकर वहीं पर अपना कच्चा आवास बनाया, और अपने परिवार के साथ रहने लगा।

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बच्चीलाल के दो बेटे हैं और वह दोनों दिल्ली में मेहनत मजदूरी करते हैं। इसके बाद राजस्व विभाग द्वारा दिनांक 6 जनवरी 91 को न्यायालय अधीक्षक भू-अभिलेख छतरपुर, सीलिंग प्रभारी अलॉटमेंट अधिकारी, वन व्यवस्थापन योजना छतरपुर मध्य प्रदेश द्वारा बच्ची लाल को भूमि स्वामी हक का पट्टा प्रदान किया गया था, और उसके बाद से लगातार बच्ची लाल शासन से प्राप्त जमीन में अपनी मेहनत से खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करता चला आ रहा है। शासन से ऋण लेकर उसने इसी जमीन में एक कुआं खोदा और डीजल पंप भी लेकर जमीन की सिंचाई करते हुए एक बगीचा भी लगा डाला। दोनों बुजुर्ग दंपति ने कुछ जानवर भी पाल रखें है।

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दोनों का बुढापा बड़े आराम से कट रहा था। तभी जून 2019 में बम्होरी पुरवा के इसी एरिये में वन विभाग द्वारा लगभग 60 हेक्टेयर में बांस-वृक्षारोपण का कार्य प्रारम्भ करवाया गया, जिसे एरिये में वृक्षरोपण का कार्य प्रारंभ हुआ। उसी के बीच बच्चीलाल की जमीन भी आती है। कार्य प्रारंभ होते ही वनकर्मियों द्वारा बुजुर्ग बच्चीलाल को कहा गया कि ये जमीन वनविभाग की है और तुम्हे खाली करनी होगी, बेचारे बुजुर्ग दंपती परेशान हो गए और तमाम अधिकारियों के चक्कर लगाए। कोई सुनवाई न होने पर बुजुर्ग ने आखिरकार न्यायालय की शरण ली, अब मामला लवकुशनगर न्यायाधीश के न्यायालय में विचाराधीन है। वहीं वन विभाग का बांस वृक्षा रोपण लगकर तैयार है और तार फेंसिंग होकर गेट भी लग गया।

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अब हालात ये हैं कि पिछले एक साल से बुजुर्ग दंपति वन विभाग द्वारा बनाई चारदीवारी के बीच कैद जैसा जीवन गुजारने को मजबूर है। उनसे मिलने कभी कोई रिश्तेदार भी पहुंचता है, तो उन्हे बमुश्किल अंदर जाने को मिलता है। वहीं रात में गेट में ताला डालकर चौकीदार चला जाता है। अब ऐसे में अगर रात में बुजुर्ग दंपत्ति को कोई परेशानी आ जाये वो चिल्लाने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। उनके घर गृहस्थी के सामान लाने वाला कोई वाहन भी अंदर नही आ सकता। बुजुर्ग जगिया भावुक होकर बताती हैं कि दीवाली में दोनों लोग सिर्फ रोते रह गए। हालांकि विवादित जमीन आज भी राजस्व रिकार्ड में बुजुर्ग बच्चीलाल के नाम दर्ज है। वहीं एडीएम छतरपुर ने मामले में संज्ञान लिया है। उनका कहना है की अधिकारियों से बात कर बुजुर्ग दंपति के आने-जाने के लिए रास्ता दिलवाने के प्रयास किये जाएंगे। बहरहाल मामला न्यायालय में विचाराधीन है। बुजुर्ग दंपति न्याय की बाट जोह रहे हैं, और फिलहाल न्याय की आस लगाए ये दंपति बिना गुनाह के कैद नुमा जीवन जीने को मजबूर हैं।

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