Edited By suman, Updated: 05 Jun, 2019 11:58 AM
भाजपा संगठन ने तय कर लिया कि सांसद चुन लिए गए विधायक गुमानसिंह डामोर को दिल्ली भेजा जाए। उन्हें विधायक पद से इस्तीफा दिलाने का निर्णय लिया। मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष राकेशसिंह ने 12 दिनों से चले आ रहे असमंजस को खत्म करते हुए इस निर्णय के बारे में...
भोपाल: भाजपा संगठन ने तय कर लिया कि सांसद चुन लिए गए विधायक गुमानसिंह डामोर को दिल्ली भेजा जाए। उन्हें विधायक पद से इस्तीफा दिलाने का निर्णय लिया। मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष राकेशसिंह ने 12 दिनों से चले आ रहे असमंजस को खत्म करते हुए इस निर्णय के बारे में बताया। मंगलवार शाम को ही गुमानसिंह भोपाल पहुंच गए और यहां संगठन के पदाधिकारियों से मुलाकात के बाद विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा भेज दिया। डामोर ने कहा, जैसा संगठन निर्देश देता, वैसा मैं करता। निर्णय हो चुका है और विधायक पद छोड़कर सांसद बना रहूंगा। झाबुआ सीट पर अब विधानसभा के उपचुनाव 6 महीने के भीतर होंगे।
6 महीने के भीतर विधानसभा के उपचुनाव होना है। जिस डामोर ने विक्रांत भूरिया को हराया था वे सांसद तो बन गए, लेकिन अपनी लीड झाबुआ में लोकसभा चुनाव में कायम नहीं रख सके हैं इसलिए दोनों पार्टी यहां दम लगाएगी कि जीत उसे मिले। गुमानसिंह डामाेर को संसद भेजने के बाद भाजपा का एक विधायक प्रदेश में कम हो गया। यानी अगर विश्वास हासिल करने का मौका आया तो प्रदेश में 229 विधायक रहेंगे। ऐसे में कांग्रेस अपने 115 विधायकों के साथ ही विश्वास साबित कर सकती है। माना जा रहा है, भाजपा ने ये निर्णय जान बूझकर देर से किया, ताकि कांग्रेस में उथल-पुथल मची रहे।
इसलिए लिया ये निर्णय
रतलाम सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। यहां भाजपा पहली बार 2014 में मोदी लहर में जीती और दिलीपसिंह भूरिया ने कांतिलाल भूरिया को हरा दिया। दूसरी बार 2019 के इस चुनाव में भाजपा जीती। डामोर को सांसद नहीं बनाते हुए विधायक ही रहने देते तो नाराजगी जनता में जा सकती थी। ऐसे में हो सकता था, फिर से ये सीट भाजपा के हाथों से छिटककर कांग्रेस के पास चली जाती।