Edited By Priya, Updated: 06 Sep, 2018 05:54 PM
भले ही मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह प्रदेश में तमाम मूलभूत सुविधाएं होने का दावा करते हों लेकिन, सच्चाई तो ये है कि यहां मरने के बाद शव को जलाने के लिए श्मशान घाट भी नहीं है। आलम ये है कि बरसात के मौसम में लोगों को शव का अंतिम संस्कार करने के लिए...
मुरैना: भले ही मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह प्रदेश में तमाम मूलभूत सुविधाएं होने का दावा करते हों लेकिन, सच्चाई तो ये है कि यहां मरने के बाद शव को जलाने के लिए श्मशान घाट भी नहीं है। आलम ये है कि बरसात के मौसम में लोगों को शव का अंतिम संस्कार करने के लिए या तो बारिश थमने का इंतजार करना पड़ता है या फिर कोई टीन के शेड लगाना पड़ता है।
ताजा मामला मुरैना जिले के पोरसा जनपद सिलावली गांव से सामने आया है। यहां एक व्यक्ति की मौत हुई तो श्मसान न होने की वजह से परिजनों को उसका अंतिम संस्कार करने के काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वे शव का खुले में संस्कार कर रहे थे। जैसे ही शव को जलाया जाने लगा तो बारिश शुरू हो गई। ऐसे हालातों में उन्हें इस्पात की चादर का सहारा लेना पड़ा।
चलती बारिश में ग्रामीण अपने घरों से इस्पात की चादर लेकर आए तब जाकर शव का अंतिम संस्कार हो पाया। तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि श्मसान न होने की वजह से लोगों ने बारिश में इस्पात हाथ से पकड़ चिता को ढका हुआ है।
ऐसा नहीं है सरकार ने यहां कभी श्मसान घाट बनाने की ज़हमत नहीं उठाई। ग्रामीणों का कहना है श्मसान बनाने के लिए पैसा आया था जो 6 साल पहले ही निकाल लिया गया लेकिन सरकार के ढीले रवैये और भ्रष्टाचार के चलते काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है।