पढ़ें: मामा के राज में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बने मजाक, खेल छोड़ने को हुए मजबूर

Edited By Prashar, Updated: 19 Jul, 2018 06:48 PM

no respact of players in mp

हमारे देश का सिस्टम कुछ ऐसा है कि अगर कोई गरीब है तो उसका बेटा भी गरीब रहेगा और अगर वह जिंदगी से लड़ते झगड़ते कुछ खास कर भी लेता है तो आगे जाकर उसे सरकार की योजनाएं पीछे हटने को मजबूर कर देती हैं। वैसे तो खिलाड़ियों को सरकार ने हर तरह की सुविधा दे...

रतलाम : हमारे देश का सिस्टम कुछ ऐसा है कि अगर कोई गरीब है तो उसका बेटा भी गरीब रहेगा और अगर वह जिंदगी से लड़ते झगड़ते कुछ खास कर भी लेता है तो आगे जाकर उसे सरकार की योजनाएं पीछे हटने को मजबूर कर देती हैं। वैसे तो खिलाड़ियों को सरकार ने हर तरह की सुविधा दे रखी है, उन्हें आगे बढ़ने के लिए हर तरह का प्रयास किया जाता है। लेकिन यहां देश और प्रदेश का नाम रोशन करने वाली होनहार बेटी के साथ जो हुआ उसके बाद ये बात पूरी तरह से झुठ पड़ जाती है।

सरकार की नीतियों और योजनाओं से दुखी होकर इस बेटी का कहना है ‘मैं मध्यप्रदेश के हर खिलाड़ी और खासकर लड़कियों से अपील करना चाहती हूं, कि आप जूडो जैसे खेल खेलने में अपना समय बर्बाद न करें। अपने जिले, राज्य, देश के लिए मैडल हासिल करने के लिए आप सालों तक मेहनत करते हैं, लेकिन मप्र की सरकार हमारी कोई मदद नहीं कर सकती’। ये दर्द भरे वाक्य रतलाम शहर में जन्मी नौशिन कादरी के हैं।

कौन हैं नौशीन कादरी ?
नौशीन अंतरराष्ट्रीय जूडो और कुराश (मार्शल आर्ट) खिलाड़ी हैं। उन्होंने एशियन चेम्पियनशिप 2018 में कांस्य पदक भी जीता है। वह मध्यप्रदेश की पहली कुराश खिलाड़ी हैं।

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क्या कहना है नौशीन का ?
गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वे हरियाणा के भिवानी में शासकीय प्रशिक्षण सेंटर में रहकर कॉमनवेल्थ चेम्पियनशिप और ओलंपिक खेलों की तैयारी कर रही हैं। भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए वह इस स्तर पर चुनी गई है। हालाकी वह मप्र की पहली कुराश खिलाड़ी है। बावजूद इसके जब उन्होंने खेल और युवा कल्याण विभाग से अपने प्रशिक्षण के लिए मदद मांगी तो सरकार ने उन्हे कोई भी मदद देने से इंकार कर दिया। नौशिन का कहना है कि प्रदेश सरकार के इस जवाब ने उनकी आगे बढ़ने की हिम्मत और सब सपने तोड़कर रख दिए।

सीएम हेल्पलाइन ने निरस्त की शिकायत
नौशीन ने बताया कि उन्होंने 9 अप्रैल 2018 को सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की थी, कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली है। उन्होंने प्रदेश सरकार से आगे के अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने के लिए प्रदेश सरकार से मदद भी मांगी, लेकिन सरकार की तरफ से सीएम हेल्पलाइन पर सीधे उनकी शिकायत निरस्त कर दी गई। इसके लिए हेल्पलाइन पर केवल यही कारण बताया गया है कि नए नियमों के अनुसार वे इसके पात्र नहीं है। यहीं नहीं सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायत के संबंध में आज तक न तो कोई अधिकारी उनसे मिलने पहुंचा और न ही सरकार के किसी नुमांइदे ने आज तक उनसे संपर्क किया है।

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हर रोज 16 घंटो की मेहनत
नौशीन ने बताया कि 12 सालों से वे लगातार हर रोज 16 घंटे मेहनत कर रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2006 स्कूली स्तर पर जूडो खेलना शुरू किया और 22 मार्च 2018 को देश के लिए कांस्य पदक जीता। इसके पहले वह चार बार आरजीपीवी में स्वर्ण पदक, दो बार ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी स्पर्धा, राज्य स्तरीय स्पर्धा में में स्वर्ण पदक, दो बार राज्य स्तरीय स्पर्धा में कांस्य पदक, दो बार सीनियर राष्ट्रीय जूडो स्पर्धा में भाग ले चुकी हैं। नौशीन का कहना है कि प्रदेश सरकार के इस रूख उनकी हिम्मत तोड़ कर रख दी है।

केवल 19 साल की उम्र तक ही मदद
नौशीन का कहना है कि खेल के लिए उन्होंने बचपन के साथ-साथ सब कुछ त्याग दिया। बावजूद इसके उन्हें सरकार से यही सुनने को मिला की ‘केवल 19 साल की उम्र तक ही खिलाड़ियों को सरकार कोई भी मदद दे सकती है’।

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केवल दहेज देती है प्रदेश सरकार
नौशीन की मां हीना कादरी ने प्रदेश सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हरियाणा में अतंरराष्ट्रीय पदक प्राप्त करने पर खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता के साथ तैयारी का अवसर, शासकीय नौकरी सब दिया जाता है, जबकि मध्यप्रदेश सरकार का उद्देश्य केवल इतना है कि लड़की के 18 साल का होने पर उसकी शादी कर दहेज के पांच बर्तन देकर उसे विदा कर दिया जाए और अगर कोई बेटी हटकर कुछ करने की कोशिश करे तो उसके लिए सरकार के पास केवल 19 साल की उम्र तक ही मदद है।

ये असलियत उस शिवराज सरकार की है जो कि सबको उनका हक दिलाने की बात करती है। मां-बेटी ने पंजाब केसरी के माध्यम से सरकार से उन्हें उनका हक दिलाने की गुहार लगाई है। देखना होगा कि सरकार इस होनहार खिलाड़ी को कब तक उनका हक दिलाती है।

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