kamal singh mewada: पुलिसकर्मी के परिजनों को नहीं मिला 50 लाख का मुआवजा, सिस्टम की बेरूखी ने खोली सरकार की स्कीम की पोल

Edited By Devendra Singh, Updated: 21 Jun, 2022 12:59 PM

not get compensation family members of policemen kamal singh mewada in sehore

सीहोर में कोरोना काल के दौरान फ्रंट लाइन वर्कर की मौत के मुआवजे को लेकर पुलिस के 152 से अधिक परिवार अपने हक के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

सीहोर (धर्मेंद्र राय): सीएम शिवराज (cm shivraj singh chouhan) की घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने वाले सरकारी कर्मचारीयो की लापरवाही के चलते पुलिस कर्मियों के तकरीबन 140 से अधिक परिजन मुआवजे की राशि के दर दर की ठोकर खा रहे हैं। कर्मचारियों की लापरवाही से पीड़ित एक परिवार का दर्द प्रधान आरक्षक कमल सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर देखने को मिला। 

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पहली लहर में हुई थी मौत 

दरअसल मंडी थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक कमल सिंह मेवाड़ा (kamal singh mewada) की कोरोना काल की पहली लहर के दौरान ऑन ड्यूटी मौत हो गई थी। जब शिवराज सिंह चौहान की घोषणा अनुसार कमल सिंह को 50 लाख की राहत राशि के साथ शाहिद का दर्जा भी मिलना था। सभी औपचारिकता के बावजूद कमल सिंह के परिजन आज भी 50 लाख की राशि के साथ, शहीदी का दर्जा पाने के लिए शासकीय दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।

152 में से सिर्फ10 पुलिसकर्मियों को योजना का लाभ 

पीड़ित परिजन साथ ही नेताओं के दरवाजे की चौखट पर नाक रगड़ने को मजबूर हैं। पहली और दूसरी लहर के दौरान प्रदेश में तकरीबन 152 पुलिसकर्मियों की कोरोना काल में काम के दौरान मौत हो गई थी। जिसमें से बमुश्किल 10 पुलिस कर्मियों को ही इस योजना का लाभ मिल सका है, जबकि बाकी परिजन आज भी शासकीय दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। 

कोरोना पीड़ितों के संपर्क में आने से हुए थे कोरोना पॉजिटिव

कमल सिंह (kamal singh death anniversary) की पुण्यतिथि के अवसर पर परिजनों का दर्द छलक कर सामने आया। परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मी जिसने अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी के साथ निभाई। आज उसका परिवार को मुआवजे की राशि के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हो रहा है। कमल सिंह अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने के दौरान कोरोना पॉजिटिव (corona positive) हुए थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। कमल सिंह की ड्यूटी कोरोना काल के दौरान रोको टोको अभियान के साथ साथ वाहन चेकिंग और कोरोना जागरुकता अभियान में लगाई गई थी। अभियान के दौरान कोरोना पीड़ितों के संपर्क में आने के चलते कोविड पॉजिटिव हुए और इलाज के दौरान मौत हो गई। 

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कोविड 19 योद्धा कल्याण योजना का नहीं मिला लाभ  

सीहोर एसपी (sehore sp) ने भी उनकी मौत कोरोना से होना बताया था और समस्त दस्तावेजों के साथ फाइल भी भौपाल भेज दी गई थी। लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी उन्हें शाहीदी का दर्जा नहीं मिला है। सीएम शिवराज सिंह (cm shivraj singh) ने कोविड के दौरान फ्रंट लाइन वर्कर्स की मौत होने पर उनके परिजनों को कोविड 19 योद्धा कल्याण योजना (covid 19 yoddha kalyan scheme) के अंतर्गत 50 लाख के मुआवजे की घोषणा की थी। लेकिन इस योजना को अमलीजामा पहनाने वाले सरकारी कर्मियों की लापरवाही के चलते आज भी कई परिजन सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।   

 

 

 

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