MP में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरते ही दिग्विजय सिंह का विरोध हुआ तेज

Edited By Jagdev Singh, Updated: 22 Mar, 2020 12:04 PM

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरते ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं। विधानसभा की रिक्त हुईं 24 सीटों पर उपचुनाव होना हैं। इनमें अजा-जजा वोट बैंक का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस के कुछ दिग्गज...

भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरते ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं। विधानसभा की रिक्त हुईं 24 सीटों पर उपचुनाव होना हैं। इनमें अजा-जजा वोट बैंक का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं ने फूलसिंह बरैया के पक्ष में हाईकमान को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने मध्य प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी फूल सिंह बरैया को प्राथमिकता क्रम में पहले नंबर पर रखकर उन्हें राज्यसभा में भेजने की मांग की है।

पत्र में नेताओं ने दलील दी है कि बरैया के राज्यसभा में जाने से कांग्रेस को उपचुनाव में अजा-जजा वोट बैंक का लाभ मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ सरकार गिरने के बाद कमलनाथ समर्थक कांग्रेस नेताओं तथा दिग्विजय से नाखुश नेताओं के भी विरोधी स्वर तेज होते नजर आ रहे हैं। 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव में मध्य प्रदेश से कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह और फूलसिंह बरैया प्रत्याशी हैं। इनमें पहले और दूसरे नंबर के उम्मीदवार तय करने को लेकर हाईकमान से मांग की गई है। कमलनाथ सरकार और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे कुछ नेताओं सहित प्रदेश के कुछ अन्य प्रमुख नेताओं ने हाईकमान को पत्र लिखा है।

वहीं इसमें बरैया को राज्यसभा में भेजने से उपचुनाव में पार्टी को होने वाले फायदे गिनाए हैं। बरैया की ग्वालियर-चंबल संभाग में अजा-जजा वोट बैंक पर पकड़ बताते हुए नेताओं ने उपचुनाव में पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद जताई है। दूसरी तरफ कमलनाथ सरकार के गिरने में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भूमिका को लेकर भी कांग्रेस नेताओं के विरोध के स्वर उठ रहे हैं। दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे मुकेश नायक ने तो खुलकर कहा है कि दिग्विजय सिंह ने अपने परिवारजन-रिश्तेदारों के लिए मध्य प्रदेश ही नहीं, गुजरात-उत्तरप्रदेश में राजनीतिक जमावट कर ली है और खुद के लिए भी राज्यसभा सीट पर रास्ता आसान कर लिया है।

मध्यप्रदेश में बेटे जयवर्धन सिंह, भाई लक्ष्मण सिंह और निकट रिश्तेदार प्रियव्रत सिंह तो गुजरात-उत्तरप्रदेश में अपने रिश्तेदारों को एमएलए बना लिया है। नायक ने कहा कि कमल नाथ ने दिग्विजय को संकट मोचक समझा और उन्होंने ही धोखा दिया। दो घंटे पहले तक शक्ति परीक्षण में जीतने की बातें कहते रहे और फिर अचानक अल्प मत में होने का बोलकर सरकार गिरवा दी। सरकार बनने के बाद दिग्विजय सिंह के कमल नाथ सरकार के मंत्रियों को सीधे चिट्ठी लिखे जाने पर वन मंत्री उमंग सिंघार से हुए विवाद पर बवाल मचा था। तब हाईकमान ने दोनों पक्षों को शांत करने के लिए कमेटी बना दी, लेकिन अब फिर दोनों नेताओं के बीच दूरियां बढ़ने लगी हैं।

कमल नाथ सरकार पर जब पिछले दिनों बागी विधायकों के कारण संकट आया था तो दिग्विजय के नेतृत्व बेंगलुरु गए मंत्रियों के साथ उमंग सिंघार भी थे। उन्होंने वहां पहुंचने के बाद ट्वीट किया, जिसमें दिग्विजय को छोड़कर अपने साथी मंत्रियों के नाम लिखे। कमल नाथ सरकार के कुछ मंत्रियों के दिग्विजय सिंह के खिलाफ खड़े होने की संभावना है। ये मंत्री सरकार में दिग्विजय सिंह के हस्तक्षेप को लेकर नाखुश तो थे, लेकिन अपने नेता की वजह से खुलकर कुछ नहीं बोलते थे। इनमें सज्जन सिंह वर्मा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है जो दिग्विजय सिंह के सरकार में हस्तक्षेप को लेकर समय-समय पर तंज करते रहे हैं।

साथ ही महाकोशल के दो कार्यवाहक मंत्री भी दिग्विजय को कांग्रेस की मौजूदा स्थिति का जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन वे अभी मौके का इंतजार कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह भी अपने भाई के सरकार में दखल को लेकर खुलकर बयान देते रहे हैं। उनकी पत्नी अपने पति की वरिष्ठता के बावजूद मंत्री नहीं बनाए जाने पर सोशल मीडिया पर कमल नाथ सरकार पर कटाक्ष कर चुकी हैं। वहीं, कमल नाथ सरकार को बाहर से समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक सुरेंद्रसिंह शेरा ने तो दिग्विजय सिंह के सरकार में हस्तक्षेप पर खुलकर बयान दिए थे।

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