Edited By meena, Updated: 07 May, 2021 10:22 PM
देश का किसान न तो कर्ज या कर्जदार से तंग आकर आत्महत्या करेगा और न वह किसी पर आश्रित रहेगा जरूरत है उसे सिर्फ एक बार मदद करने वाले सम्पन्न परिवारों की जो उसे आत्महत्या करने से बचा सकते है। युवा समाजसेवी राजेश सरियाम मूलत: जिले के मूल रहवासी होने के...
बैतूल(रामकिशोर पवार): देश का किसान न तो कर्ज या कर्जदार से तंग आकर आत्महत्या करेगा और न वह किसी पर आश्रित रहेगा जरूरत है उसे सिर्फ एक बार मदद करने वाले सम्पन्न परिवारों की जो उसे आत्महत्या करने से बचा सकते है। युवा समाजसेवी राजेश सरियाम मूलत: जिले के मूल रहवासी होने के साथ जिला मुख्यालय पर एक मात्र ऐसा आदिवासी परिवार है जहां पर माता - पिता - पत्नि - छोटा भाई - छोटी बहू, बहन - जवाई, चाची शिक्ष विभाग में कार्यरत है। माता विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी आमला से सेवानिवृत तथा पिता हेड मास्टर के पद से सेवानिवृत हो चुके है। स्वंय राजेश सरियाम ने स्वइच्छा सेवानिवृति ले ली है।
सरियाम ने अपने ग्राम जसोंदी कोलगांव निवासी मनोहरी धुर्वे के चार एकड़ की बंजर भूमि के लिए एक टयूबवेल खुदवा कर दिया। ताप्ती नदी के किनारे बसे इस गांव की माटी पर ताप्ती जलधारा के रूप में जब बह निकली तो उस किसान को उम्मीद जगी कि अब उसके खेतों में फसलें लह लहाएगी। इसी तरह राजेश सरियाम ने गांव जसोंदी के ही एक किसान मोतीराम सलामे के लिए भी ट्यूबवेल खुदवा कर दिया और अब भी अपने जमीन को अपने श्रम से खेतीबाड़ी योग्य बनाने चला है।
आदिवासी समाज अपने पेट को पालने के लिए जहां एक ओर सूदखोरो या कर्जदेने वालो के सामने अपनी जमीन को गिरवी रख कर कर्जा तो ले लेता है लेकिन पानी के अभाव में उसकी फसल ज्यादा समय तक जीवित नही रह पाती। अब भरपूर पानी मिलने से उस किसान को भी लगने लगा कि उसके अच्छे दिन राजेश सरियाम की मदद से आ गए है।