Edited By meena, Updated: 25 May, 2020 02:41 PM
मजहब ए इस्लाम में कहा जाता है कि रमजान के रोजे रखने के बाद खुदा की तरफ से ईद उनके लिए तोहफा होती है। इस दिन को खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग एक दूसरे से गले मिलते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं। लेकिन कोरोनावायरस के कारण इस बार की ईद...
भोपाल(इजहार हसन खान): मजहब ए इस्लाम में कहा जाता है कि रमजान के रोजे रखने के बाद खुदा की तरफ से ईद उनके लिए तोहफा होती है। इस दिन को खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग एक दूसरे से गले मिलते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं। लेकिन कोरोनावायरस के कारण इस बार की ईद अलग अंदाज में मनाई जा रही है। लोग न तो गले मिल रहे हैं और न ही मस्जिदों में इक्ट्ठे हुए हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घरों में ही नमाज अदा करके सोशल मीडिया के जरिए एक दूसरे को मुबारकबाद दे रहे हैं। वहीं इस सबसे हटकर भोपाल के युवा वर्ग ने ईद को एक अलग अंदाज में मनाया।
रमजान के लगातार तीस दिन तक रोजे रखकर हाइवे से गुजरने वाले भूखे प्यासे श्रमिकों को खाना और पानी खिलाने वाले भोपाल के मुस्लिम युवाओं का समूह आज ईद के दिन इलाके से गुजरने वाली ट्रेन में मौजूद श्रमिकों को पानी और खाना देकर मना रहा है।
टीम के सदस्य इरबाज़ कुरेशी के अनुसार, हम एक महीने से हाइवे पर श्रमिकों को खाना खिला रहे थे, पानी पिला रहे थे, अब ट्रेनें चलने लगी तो ट्रैन में मौजूद श्रमिकों को पिछले कुछ दिनों से खाने के पैकेट बिस्कुट और पानी के पाउच बांट रहे हैं। हम अपनी इस ख़िदमत के ज़रिए पूरे मुल्क में मेसैज देना चाहते हैं कि पूरे देश मे अमन का माहौल हो, भाईचारे का माहौल हो और हर इंसान इंसानियत की खिदमत करे।
रमजान महीने पर भूखे प्यासे रहकर जनसेवा के सवाल पर इरबाज का कहना है कि हम सिर्फ सुबह से लेकर शाम तक रोजा रखते थे। मगर यह लोग कई कई हजारों किलोमीटर चल कर अपने घर को जा रहे थे। कोई गाड़ियों से, कोई बाइक से, कोई साइकिल से और कोई पैदल से तो हमारी भूख और प्यास से ज्यादा इनकी भूख और प्यास बड़ी थी और इंसानियत और मानवता ही सबसे बड़ा मजहब है।