Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 02 Mar, 2019 09:23 AM
जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव की कबायद तेज हो गई है वहीं दूसरी तरफ चुनाव से ठीक पहले हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जबलपुर हाई कोर्ट ने शहडोल से भाजपा के सांसद ज्ञान सिंह का निर्वाचन निरस्त कर दिया है...
जबलपुर: जहां एक तरफ लोकसभा चुनाव की कबायद तेज हो गई है वहीं दूसरी तरफ चुनाव से ठीक पहले हाई कोर्ट ने बड़ा फैसले ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी है। एक अहम फैसले पर जिला हाई कोर्ट ने शहडोल से भाजपा के सांसद ज्ञान सिंह का निर्वाचन निरस्त कर दिया है। भाजपा के लिए यह दूसरा झटका है। शहडोल सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी महावीर प्रसाद मांझी ने 2016 में चुनाव याचिका लगाई थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने ये अहम फैसला सुनाया।
दरअसल, 2014 का चुनाव जीतने वाले बीजेपी के दलपत सिंह परस्ते का ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हो जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। शहडोल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। 2016 के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह ने कांग्रेस के हिमाद्री सिंह को हराया था। ज्ञान सिंह के खिलाफ शहडोल सीट से महावीर प्रसाद मांझी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा था। महावीर प्रसाद मांझी ने 2016 में चुनाव याचिका लगाई थी। इस याचिका में उन्होंने कहा था कि शहडोल में हुए लोकसभा उपचुनाव में वो निर्दलीय प्रत्याशी थे। लेकिन सत्ताधारी दल भाजपा के प्रभाव में आकर निर्वाचन अधिकारी ने उनके जाति प्रमाण पत्र पर आपत्ति जताते हुए नामांकन पत्र गलत तरीके से निरस्त कर दिया था।
महावीर प्रसाद मांझी ने चुनाव याचिका में इसे अवैध बताते हुए उन्होंने भाजपा सांसद ज्ञान सिंह का निर्वाचन निरस्त करने की मांग की थी। शुक्रवार को हाई कोर्ट ने सांसद ज्ञान सिंह का निर्वाचन निरस्त कर दिया है। इससे पहले फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर भाजपा सांसद ज्योति धुर्वे का भी निर्वाचन निरस्त हुआ था। उच्चाधिकार छानबीन समिति ने जांच के बाद धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त किया है। उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर पहले से मामला चल रहा था। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद आखिरकार जांच समिति ने उनका जाति प्रमाण पत्र फर्जी करार दिया है।