मंत्रिमंडल को लेकर शिवराज वर्सेस महाराज !

Edited By Vikas kumar, Updated: 19 Apr, 2020 12:32 PM

shivraj vs maharaj regarding the cabinet

मध्यप्रदेश में बिना मंत्रिमंडल के सरकार चलाते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान को एक महीना होने जा रहा है। इसके बावजूद मंत्रिमंडल का विस्तार सिर्फ कयासों तक ही सीमित है, लेकिन अब...

मध्यप्रदेश: मध्यप्रदेश में बिना मंत्रिमंडल के सरकार चलाते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान को एक महीना होने जा रहा है। इसके बावजूद मंत्रिमंडल का विस्तार सिर्फ कयासों तक ही सीमित है, लेकिन अब इस विस्तार को लेकर एक अलग तरह की तस्वीर देखने को मिल रही है, और तस्वीर जुड़ी है संभावित विस्तार को लेकर मध्यप्रदेश बीजेपी के दो प्रमुख ध्रुव शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कथित टकराव के साथ। बीजेपी के आंतरिक सूत्रों की मानें, तो प्रदेश में कैबिनेट विस्तार को लेकर इस वक्त सिंधिया और शिवराज आमने सामने आ गए हैं, जिसके कारण ही इस बारे में अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा। 

शिवराज मिनी, तो सिंधिया जंबो कैबिनेट के पक्ष में
दरअसल सूत्रों की मानें, तो शिवराज सिंह चौहान कोरोना संकट के बीच बड़े मंत्रिमंडल के गठन के पक्ष में नहीं थे। इसके लिए प्रदेश स्तर पर एक खाका भी तैयार कर लिया गया था और लगभग 10 मंत्रियों को शपथ दिलाने की पूरी तैयारी थी, इस विस्तार में सिंधिया खेमे की तरफ से सिर्फ तुलसी सिलावट का नाम शामिल था, और कांग्रेस से आए बाकी विधायकों का नाम इस सूची में नहीं था। शिवराज ने इस मामले मे पार्टी हाईकमान से भी बात कर ली थी। लेकिन इसके बारे में जब सिंधिया को पता चला, तो उन्होंने मामले पर आपत्ति जताई और इसे लेकर तत्काल अमित शाह से मुलाकात की। साथ ही पहले कैबिनेट विस्तार में कांग्रेस से आए विधायकों को भी शामिल करने की मांग की। सिंधिया ने इस विषय में जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। जिसके बाद मध्यप्रदेश में संभावित विस्तार पर रोक लगा दी गई, और अब फिर से इसे लेकर नया मसौदा तैयार किया जा रहा है। खबर है, कि अब शिवराज सिंह अपने पहले विस्तार में ही अधिक से अधिक मंत्रियों को शामिल करेंगे। 

शिवराज के बराबर महाराज का चलावा !
बीजेपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया की एंट्री के साथ ही यह कयास लगाए जाने लगे थे, कि उन्हें बीजेपी के भीतर किस तरह के अधिकार मिलेंगे। अगर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सामने आए घटनाक्रम पर गौर करें, तो यह नजर आता है कि बीजेपी में सिंधिया का चलावा शिवराज सिंह के बराबर ही है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है, कि आने वाले समय में जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वहां बीजेपी की बड़ी उम्मीद सिंधिया फैक्टर के साथ ही जुड़ी हुई है। चूंकी कांग्रेस से आए विधायक अगर जल्द से जल्द मंत्री बनते हैं, तो उन्हें अपने क्षेत्र के लिए काम करने का मौका भी मिल जाएगा, जिससे शायद उपचुनाव में उन्हें आसानी हो। इसी कारण बीजेपी हाईकमान ने भी सिंधिया की सलाह पर गौर किया और शिवराज मंत्रिमंडल के कथित विस्तार पर वीटो लगा दिया।

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