Edited By suman, Updated: 10 Jun, 2018 06:50 PM
जिन मां- बाप ने बच्चों को पाल पोसकर बड़ा किया वही बच्चे उन्हें लावारिस छोड़ देगे, ऐसी कल्पना शायद ही कोई करता होगा। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि आज के समय में बच्चे अपने मां –बाप को बोझ समझने लगे हैं। मानवता को शर्मसार करने वाला ऐसा ही एक उदाहरण...
ग्वालियर: जिन मां- बाप ने बच्चों को पाल पोसकर बड़ा किया वही बच्चे उन्हें लावारिस छोड़ देगे, ऐसी कल्पना शायद ही कोई करता होगा। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि आज के समय में बच्चे अपने मां –बाप को बोझ समझने लगे हैं। मानवता को शर्मसार करने वाला ऐसा ही एक उदाहरण सामने आया है, ग्वालियर में। जहां, अटेंडेंट ने व्हील चेयर पर बैठे एक बुजुर्ग को छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के एचए-वन कोच से उतारा और कुली को बता दिया कि उन्हें ग्वालियर से कोई लेने आएगा। लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद कोई लेने न आया। बुजुर्ग व्यक्ति की उम्र करीब 60 साल है। वह बीमार हैं और उन्हें पूरे इंतजाम के साथ लावारिस छोड़ा गया है। उनकी जेब से 2150 रुपये मिले हैं। टिकट बुक कराने वाले ने न तो अपना नाम दर्ज करवाया और ना ही पता।
बुजुर्ग के पास भी पहचान से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं मिला। फिलहाल बुजुर्ग RPF के उपनिरीक्षक बृजेन्द्र सिंह जेएच अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी तबीयत बहुत खराब है और वह कुछ बोलने की हालत में नहीं हैं। उनके बारे में पता करने के लिए जब छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच के टीटी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि यात्री का नाम अरुण कुमार है। वह निजामुद्दीन से ग्वालियर एचए वन के कोच की सीट नंबर 6 पर यात्रा कर रहे थे। अस्पताल ले जाने से पहले उन्हें वेटिंग रूम में रखा गया था। स्टेशन मैनेजर ने उनसे बात करने की बहुत कोशिश की तो टूटी फूटी भाषा में उन्होंने बताया कि उनका नाम अरुण कुमार शर्मा है, वह मुरार के रहने वाले हैं और वायु सेना से रिटायर हैं।