Edited By Vikas kumar, Updated: 04 Jan, 2019 05:44 PM
कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के 68वें ''अध्यात्म विभाग'' का गठन करने की घोषणा की है। इसमें आनंद विभाग और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को एक कर दिया है। अब इस नए विभाग का ना...
भोपाल: कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के 68वें 'अध्यात्म विभाग' का गठन करने की घोषणा की है। इसमें आनंद विभाग और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को एक कर दिया है। अब इस नए विभाग का नाम 'अध्यात्म विभाग' रखा गया है। कांग्रेस सरकार बनाने में साधु संतों का काफी योगदान रहा है। इसलिए कमलनाथ सरकार ने इनका दिल जीतने के लिए प्रदेश में 'अध्यात्म विभाग' का गठन करने की घोषणा की है। कांग्रेस की नई सरकार ने इसमें आनंद विभाग में होने वाले तमाम कार्यों के साथ धर्म से जुड़े कामों, तीर्थ दर्शन, धार्मिक यात्रा और धार्मिक स्थलों का सौंदर्यीकरण जैसे कार्यों को मिला दिया है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुनाव से पहले कांग्रेस के वचन पत्र में किए गए एक वादे को गुरुवार को पूरा कर दिया। सामान्य प्रशासन विभाग ने अध्यात्म विभाग के गठन की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशन के लिए भेज दी। नया विभाग नर्मदा न्यास, ताप्ती, मंदाकिनी और क्षिप्रा नदी के न्यास का गठन, मध्यभारत गंगाजली निधि न्यास, पवित्र नदियों को जीवित इकाई बनाने के संबंध में कार्यवाही, राम वनगमन पथ में पड़ने वाले अंचलों का विकास सहित धर्मस्व और आनंद विभाग के अधीन आने वाले काम करेगा।
कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अध्यात्म विभाग को गठित करने के निर्णय को अब मूर्त रूप दिया गया है। इसमें धार्मिक न्यास और धर्मस्व व आनंद विभाग को मिलाया गया है। ये विभाग भारत और प्रदेश की मिश्रित संस्कृति के विकास के लिए काम करेगा. विभाग के अंतर्गत वे सभी अधिनियम और नियम भी आएंगे, जो धर्मस्व विभाग के अधीन आते हैं।
यह काम करेगा अध्यात्म विभाग
- अध्यात्म विभाग धर्मस्थलों से जुड़े ऐतिहासिक स्थानों का रखरखाव करेगा।
- पुजारी, महंत और कथावाचकों की नियुक्ति और उनको हटाने संबंधित काम करेगा।
- धार्मिक संस्थाओं की भूमि का प्रबंधन करने का काम करेगा।
- प्रदेश और बाहर के चिह्नित तीर्थस्थलों की यात्रा का प्रबंधन का काम करेगा।
- धार्मिक स्थलों पर लगने वाले मेलों और आयोजनों पर भीड़ प्रबंधन एवं सुरक्षा की विशेष व्यवस्थाओं पर सुझाव देने का काम करेगा।
- नगर, शहर और स्थानों को पवित्र घोषित करने हेतू काम करेगा।