Edited By Devendra Singh, Updated: 04 Oct, 2022 02:24 PM
अरुण दुबे को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी मिली है। नौकरी के लिए अरुण दुबे ने जो दस्तावेज पेश किए थे। उसमें उसने अपने पिता को जीवित दर्शाया है। जबकि नौकरी लगने के 3 साल पहले ही उसके पिता की मौत हो चुकी थी।
कोरबा (इमरान मलिक): जिस अधिकारी ने अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार की गंगा बहाकर अरबों की संपत्ति बना डाली हो। आदिवासी विकास विभाग के निर्माणा शाखा में पदस्थ अरुण दुबे नाम के इस बाबू की तरह ही एक भ्रष्टाचारी सरकारी कर्मचारी की है। जिसका प्रभाव जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक है। आदिवासी विकास विभाग के तात्कालीन सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे के साथ मिलकर इसके सरकारी राजस्व को जमकर चोट पहुंचाई और रायपुर समेत कोरबा में कई बिल्डिंग बना ली।
चपरासियों तक को नहीं बख्शा!
इन्हीं हरकतों के कारण प्रशासन ने अरुण दुबे को श्रीकांत दुबे के साथ नाप दिया था। लेकिन उंची पहुंच होने और भ्रष्टाचार से कमाए गए पैसों के कारण यह फिर से अपने पुराने स्थान पर आ गया। सांप की तरह कुंडली मारकर बैठे इस बाबू अरुण दुबे ने अपने विभाग के अभियंताओं और चपरासियों तक को नहीं बख्शा। जिनके नाम पर दो करोड़ रुपयों का फर्जी भुगतान चेक के माध्यम से अपने खातों में कर लिया।
पिता को बता दिया था जिंदा
अरुण दुबे को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी मिली है। नौकरी के लिए अरुण दुबे ने जो दस्तावेज पेश किए थे। उसमें उसने अपने पिता को जीवित दर्शाया है। जबकि नौकरी लगने के 3 साल पहले ही उसके पिता की मौत हो चुकी थी। तो फिर क्या नौकरी करने वाला शख्स कोई और है? या फिर चमत्कारी तरीके से उसने अपने पिता को जिंदा कर लिया?। ये वो तमाम ऐसे सवाल है। जिसकी अगर बारिकी से जांच की जाए तो बड़ा भ्रष्टाचार आ सकता है। आज के दौर में साधारण सा दिखने वाला यह अरुण दुबे अरबों की संपत्ति का मालिक हैं।
रायपुर-कोरबा में करोड़ों की संपत्ति
रायपुर में इसके 7 मकान है। जबकि कोरबा में 3। आम जनता की कमाई को अपने स्वार्थसिद्धी के लिए उपयोग करने के पुख्ता प्रमाण मिलने के बाद राज्य शासन ने इसका तबादला दूसरे जिले में कर दिया है। यही वजह है कि यह अब काफी बौखला गया है और अपने अधिकारियों के खिलाफ समाचार पत्रों में अनर्गल खबरे छपवाकर अपने को पाक साफ करने की कोशिशों में जुटा है।