छत्तीसगढ़ विधानसभा में गूंजा सूपेबेडा मामला, सरकार ने ऐसे दिया हर सवाल का जवाब

Edited By Devendra Singh, Updated: 27 Jul, 2022 05:55 PM

supebeda issue rise in chhattisgarh assembly

सूपेबेडा एक बार फिर सदन में गूंजा। विपक्ष (opposition) का काम सत्ता पक्ष को समस्याओं से अवगत कराना है। भाजपा विधायक (bjp mla) ने सवालों की झड़ी लगाते हुए सदन में पूछा कि दूषित और स्वच्छ जल पीने से हुई बीमारी का कारण 3 सालों में कितने लोगों की मृत्यु...

रायपुर (सतेंद्र शर्मा): छत्तीसगढ़ का सूपेबेडा (supebeda) दूषित पानी और मौतों के मामले में हमेशा सुर्खियों में रहा है। लेकिन वहां की समस्या जस की तस है। लेकिन उस पर सियासत आज भी जारी है। हमेशा से विपक्ष का मुख्य मुद्दा रहा सूपेबेडा एक बार फिर सदन में गूंजा। विपक्ष (opposition) का काम सत्ता पक्ष को समस्याओं से अवगत कराना है। भाजपा विधायक (bjp mla) ने सवालों की झड़ी लगाते हुए सदन में पूछा कि दूषित और स्वच्छ जल पीने से हुई बीमारी का कारण 3 सालों में कितने लोगों की मृत्यु हुई है? 2018 में सुपेबेड़ा को लेकर क्या-क्या घोषणा की गई थी ? और उसमें कितनी घोषणाएं पूरी हुई है? जल जीवन मिशन के अंतर्गत गरियाबंद (gariyaband) में घर-घर में नल पहुंचाने के लक्ष्य के अनुरूप कितने घरों में नल लगा है और कितने में काम बाकी है।  

सरकार ने सदन में रखा अपना पक्ष 

राज्य में PHE मंत्री गुरूरूद्र कुमार ने जवाब में कहा गरियाबंद में दूषित पानी पीने से 3 सालों में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। जल जीवन मिशन (jiwan misssion) के अंतर्गत गरियाबंद में इस साल कुल 68,738, पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 78,837 ग्राम जल जीवन मिशन के तहत घर-घर पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित रखा गया था। सरकार ने 2018 में सुपेबेड़ा (supebada) को लेकर कोई भी घोषणा नहीं की गई थी, साथ ही लक्ष्य के अनुरूप इस वर्ष 8 जुलाई 2022 तक 12,021 वही पिछले वित्तीय वर्ष 11559 घर में नल पहुंचा दिए गए हैं और 1 लाख 6464 बनाए जाना शेष है, जिसे सितंबर में 2030 तक पूरा कर लिया जाएगा।  

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सुपेबेड़ा को लेकर सरकार-राज्यपाल के बीच हुआ था विवाद 

दरअसल बात उसी सुपेबेड़ा की है। जिसके लिए सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद (dispute between governor and government) हुआ था। ये वही सुपेबेड़ा है, जहां जाने के लिए राज्यपाल को हेलिकॉप्टर नहीं मिला तो उन्होंने कार से दौरा किया था। ये वही सुपेबेड़ा है, जहां दूषित जल से मौत की खबरें सुर्ख़ियां बनती है। खैर प्रदेश के मंत्री ने कहा है तो मान लेते हैं कि दूषित जल से मौत नहीं हुई, तो सवाल यही उठता है कि आखिर उन ग्रामीणों की मौत कैसे हुई? और उम्मीद यही है कि मंत्री का वादा सही साबित हो ओर सुपेबेड़ा को जल्द ही नल से स्वच्छ जल मिल सके।  

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