Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 03 Jan, 2019 03:21 PM
प्रदेश में सरकारी अस्पताल की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि 2014 से निर्मित अस्पताल में कंडे ( गोबर के उपले) रखे हुए है। यह अस्पताल कम और भैंसों का तबेला ज्यादा लगता है। खास बात यह कि जब इस संबंध में आला अधिकारियों से बात की गई तो उन्हें इस...
छत्तरपुर: प्रदेश में सरकारी अस्पताल की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि 2014 से निर्मित अस्पताल में कंडे ( गोबर के उपले) रखे हुए है। यह अस्पताल कम और भैंसों का तबेला ज्यादा लगता है। खास बात यह कि जब इस संबंध में आला अधिकारियों से बात की गई तो उन्हें इस स्व्स्थ्य केंद्र के बिगड़ी स्थिति की जानकारी तक नहीं थी।
जानकारी के अनुसार, बुंदेलखंड अंचल के जिले में छोटे से गांव भुस्का में उप स्वास्थ्य केंद्र लगभग बने 4 साल हो चुके हैं। इसे बनाने में शासन के लगभग 10 लाख रुपए खर्च हुए हैं। जबकि यह बिल्डिंग बड़े ही शानदार तरीके से निर्मित हुई थी लेकिन अब नज़ारा कुछ और ही है। कमरों में दवाईयों/उपकरण की जगह उपले (कंडे) और डॉक्टर मरीजों की जगह जानवर भरे पड़े हैं।
इसकी खस्ता हालत देखकर यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं क्योंकि मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है और अब प्रदेश की कमान कमलनाथ के हाथ में है। सीएम बनते ही कमलनाथ एक्शन मूड में दिख रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों के ऐसे हालातों में कब सुधार होगा यह भविष्य में ही पता चलेगा।
इस स्वास्थ्य केंद्र की हालत देखकर लगता है मानों ग्रामीण क्षेत्रों में जैसे स्वास्थ्य सेवाओं की कमर टूट चुकी है। पूर्व सीएम शिवराज सरकार में यह भवन बनकर तैयार तो हो गया था। लेकिन भ्रष्टाचारी एवं लापरवाही के चलते 10 लाख की हवेली तबेले में तब्दील हो गई।
ग्रामीणों की मानें तो 4 साल पहले जब अस्पताल बन रहा था तो उन्हें बेहद खुशी थी कि उन्हें बीमारी के चलते ईलाज के लिए दूर-दराज नहीं जाना होगा। बल्कि क्षेत्र में ही बेहतर ईलाज मिल सकेगा। लेकिन 4 साल बाद भी उन्हें अपने बच्चों एवं परिवार में बीमारी होने पर झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे जीना पड़ रहा है।
मामले पर जब ADM और CMHO से बात की तो उन्होंने इस पूरे मामले में अनभिज्ञता ज़ाहिर की साथ ही बताया कि बिल्डिंग सुपुर्दगी नहीं मिली है।