Edited By Vikas Tiwari, Updated: 06 Dec, 2020 02:42 PM
ये अजगरों की बस्ती हैं, ये अजगरों का गांव हैं। यहां आराम फरमाने के लिए आते हैं सैंकड़ों अजगर, पढ़ने में भले ही ये बातें अजीब लग रही हों। लेकिन यह सच है। दरअसल मध्यप्रदेश के मंडला जि...
मंडला: ये अजगरों की बस्ती हैं, ये अजगरों का गांव हैं। यहां आराम फरमाने के लिए आते हैं सैंकड़ों अजगर, पढ़ने में भले ही ये बातें अजीब लग रही हों। लेकिन यह सच है। दरअसल मध्यप्रदेश के मंडला जिले के इस पथरीले इलाके में हर साल जाड़े के दिनों में एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों अजगर अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं। लगभग 200 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पत्थर और मिटटी के बने छेदों से निकलते अजगर आम ग्रामीणों के अलावा पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
जानकार बताते हैं। कि ठंड के दिनों में जब तापमान नीचे चला जाता है। तो इन सैकड़ों अजगरों को अपने शारीरिक तापमान को संतुलन बनाये रखने के लिये बाहर आना पडता है, और लंबे समय के लिये ये बाहर गरम पत्थरों में ये धूप सेंकते देखे जा सकते हैं। वन विभाग ने इनके संरक्षण के लिये इलाके में फेंसिंग तो कराई है। लेकिन अजगरों की सुरक्षा के लिये ये नाकाम साबित हो रही है।
ग्रामीणों का मानना है कि इस गांव का नाम भी इन्हीं अजगरों से पड़ा है। जहां हर साल सैकड़ों पर्यटक भी पहुंचते है। यहां पर्यटन की द्रष्टि से कोई कार्य अब तक नहीं किया गया है। जबकि यह इलाका कान्हा से लगा हुआ है। यहां रैनबसेरा, पेयजल व्यवस्था और सड़क का अभाव तो है ही, साथ ही अजगरों की सुरक्षा भी नहीं है।
कान्हा नेशनल पार्क में इन दिनों पर्यटकों की भारी भीड़ है। नवंबर-दिसंबर के महीने में अवकाश के कारण यहां पर्यटकों का आना जाना रहता है। यदि अजगर दादर पर शासन प्रशासन ध्यान देते हैं। तो यह एक बेहतर पर्यटन केंद्र की तरह विकसित हो सकता है। पिछले कई वर्षों से इस छेत्र को अभ्यारण बनाने की कवायद जारी हैं। लेकिन अब तक वन विभाग आश्वासन मात्र दे रहा है। अब देखना यह होगा, कि आखिर कब अजगरों के इस गांव की दशा बदलती है।