रिटायर कर्मचारी की प्रतिज्ञा हुई पूरी, कमलनाथ के मंत्री ने 24 साल बाद पहनाए जूते

Edited By suman, Updated: 02 Mar, 2019 12:16 PM

the retired worker s pledge was fulfilled

बीते दिनों मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक कार्यकर्ता का संकल्प पूरा होने पर उसे घर बुलाकर जूते पहनाए थे। वहीं एक कार्यकर्ता की चोटी काटी थी। कुछ ही ऐसा ही वाक्या एक बार फिर इंदौर में देखने को मिला, जहां एक रिटायर हुए चपरासी को उच्च शिक्षा मंत्री जीतू...

भोपाल: बीते दिनों मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक कार्यकर्ता का संकल्प पूरा होने पर उसे घर बुलाकर जूते पहनाए थे। वहीं एक कार्यकर्ता की चोटी भी काटी थी। कुछ ही ऐसा ही वाक्या एक बार फिर इंदौर में देखने को मिला, जहां एक रिटायर हुए चपरासी को उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने अपने हाथों से जूते पहनाए। चपरासी ने 24 साल पहले प्रतिज्ञा ली थी कि, जब तक विभाग का दफ्तर अपने भवन में नहीं बन जाता तब तक ही जूते-चप्पल पहनूंगा और आखिरकार उनकी यह प्रतिज्ञा पूरी हुई। उन्होंने 24 साल बाद जूते पहने। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर सासंद सुमित्रा महाजन भी मौके पर मौजूद रहीं।
 

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24 सालों से जूते न पहनने की ली थी शपथ
दरअसल, शुक्रवार को इंदौर में दूसरे 50 करोड़ के लागत के अतुल्य आईटी पार्क भवन का लोकार्पण करने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी पहुंचे थे। इस दौरान एकेवीएन के सेवानिवृत्त कर्मचारी मिश्रीलाल ने सबका ध्यान अपने ओर खींचा। एमपीआईडीसी के निदेशक कुमार पुरुषोत्तम ने ताई और पटवारी को बताया कि एकेवीएन के सेवानिवृत्त कर्मचारी मिश्रीलाल ने 24 सालों से जूते ना पहनने की शपथ ली है और अब पूरी हो गई है।


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खेल मंत्री ने पहनाए जूते
पुरुषोत्तम ने बताया कि विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तौर पर काम करते हुए मिश्रीलाल ने 1994 में शपथ ली थी कि 'तब ही जूते-चप्पल पहनूंगा जब विभाग का दफ्तर अपने भवन में होगा। इस बीच मिश्रीलाल रिटायर हो गए, लेकिन नंगे पैर ही रहे'। नए आईटी पार्क के साथ अब विभाग को अपना दफ्तर भी मिल गया। पुरुषोत्तम ने लोकार्पण समारोह के मंच से एकेवीएन के सेवानिवृत्त कर्मचारी मिश्रीलाल को अतिथियों के हाथों जूते की जोड़ी भेंट करवाई।

खास बात ये रही कि खुद जीतू ने नीचे झुककर मिश्रा को जूते पहनाए। इस दौरान महाजन ने कहा कि 'नंगे पैर रहने की शपथ अपने आप में बड़ा निर्णय होता है। जब भी पैरों में पत्थर चुभते हैं तो व्यक्ति को अधूरे संकल्प की याद दिलाते हैं। इसके बाद तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा कार्यक्रम गूंज उठा।'

 

 

 

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