Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 21 Dec, 2018 11:43 AM
प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में हालात बद से बदतर हो रहे हैं। जहां 1 वर्षीय मृत बच्ची के परिजन अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। ताजा मामला जिला अस्पताल में भर्ती रोशनी आदिवासी की 1 साल की बिटिया रंजना आदिवासी का है।
छत्तरपुर: प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में हालात बद से बदतर हो रहे हैं। जहां 1 वर्षीय मृत बच्ची के परिजन अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। ताजा मामला जिला अस्पताल में भर्ती रोशनी आदिवासी की 1 साल की बिटिया रंजना आदिवासी का है। जहां ब्लड न मिल पाने के कारण इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
बता दें कि 1 साल की रंजना को हाइपोथर्मिया और अनीमिया की बीमारी थी। जिसके चलते उसे अक्सर ब्लड की जरूरत रहती थी। उसके माता-पिता अपनी बेटी को अब तक 2 - 2 बार खून दे चुके थे और अब वे खून देने में सक्षम नहीं थे। अस्पताल प्रशासन ने भी उन्हें खूनदान करने से मना कर दिया था। लेकिन जब उनकी बैटी को खून की बहुत जरुरत थी तो ब्लड बैंक ने उन्हें खून देने से मना कर दिया। उनका कहना था कि डोनर लेकर आओ और खून ले जाओ। लेकिन समस्या यह थी कि आदिवासी दंपति का कोई परिजन यहां नहीं था और न ही इतना पैसा की खून का प्रबंध कर सके। जिसका नतीजा यह हुआ कि बच्ची ने शाम को दम तोड़ दिया।
वहीं अब परिजन अस्पताल प्रशासन और संबंधित डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं कि अगर समय रहते खून मिल जाता तो आज हमारी बच्ची जिंदा होती। इस मामले पर प्रभारी सिविल सर्जन अधिकारी डॉ.आरपी पांडे से बात की तो उन्होंने सारे मामले की जांच करने की बात कही।
लेकिन जब कलेक्टर रमेश भंडारी से मिलने और फोन करने की कोशिश की तो न तो उन्होंने न ही फोन उठाया और न ही मिलने की कोशिश की। स्वाभाविक है जब जिला कलेक्टर ही लापरवाह है तो अधीनस्थों का क्या हाल होगा