‘मैं भी चौकीदार’ और ‘चोर’ बनने के पीछे की कहानी ‘उल्लू का पट्ठा’

Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 29 Mar, 2019 04:49 PM

the story behind the  i am also the watchman  and the  thief   owl s belt

अमिताभ बुधौलिया का इलेक्शन के समय में प्रकाशित हुआ उपन्यास ‘उल्लू का पट्ठा’ चर्चाओं में है। यह उपन्यास कुर्सी हथियाने के लिए नेताओं के हथकंडों की कहानी बयां करता है। माना जा रहा है कि यह उपन्यास प्री-प्लान किया गया था। इसे आचार संहिता लागू होने के...

भोपाल: अमिताभ बुधौलिया का इलेक्शन के समय में प्रकाशित हुआ उपन्यास ‘उल्लू का पट्ठा’ चर्चाओं में है। यह उपन्यास कुर्सी हथियाने के लिए नेताओं के हथकंडों की कहानी बयां करता है। माना जा रहा है कि यह उपन्यास प्री-प्लान किया गया था। इसे आचार संहिता लागू होने के साथ ही लांच किया गया। उपन्यास में मैं भी चौकादार और चौकीदार चोर है..जैसे जुमले भी कहानी में सम्मिलित किए गए हैं। यह एक हास्य व्यंग्य है, जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन ‘नोशनप्रेस’ ने पब्लिश किया है।

अमिताभ का 3 महीने के अंदर यह दूसरा उपन्यास प्रकाशित हुआ है। पहला उपन्यास ‘सत्ता परिवर्तन’ भी काफी चर्चाओं में है। इस पर एक फिल्म का निर्माण भी हुआ था, जो किसी कारणवश अधूरी रह गई। यह उपन्यास ठीक उस समय प्रकाशित हुआ था, जब मप्र, छग और राजस्थान में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। इन तीनों ही राज्यों में ‘सत्ता परिवर्तन’ हुआ था। इस वजह से भी उपन्यास अपने शीर्षक के कारण सुर्खियों में आया था।

‘सत्ता परिवर्तन’ राजनीति और क्राइम विषय पर आधारित है। इसका मुख्य किरदार कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ भैया राजा से हूबहू मेल खाता है। इसी वजह से यह उपन्यास विवादों में है। वहीं ‘उल्लू का पट्ठा’ चुनाव प्रक्रिया; खासकर राजनीति में वंशवाद की परंपरा पर व्यंग्य करता है। उपन्यास में बुंदेली भाषा का इस्तेमाल किया गया है। अमिताभ कहते हैं-‘उपन्यास राजनीति की असलियत बयां करता है। नेता किस तरीके से चुनाव लड़ते हैं, वोटरों को रिझाते हैं-बरगलाते हैं, इसमें यही दिखाया गया है।’ इस कहानी पर फिल्म की योजना भी चल रही है। अमिताभ बताते हैं-‘सबसे पहले हमने इस विषय पर स्क्रीनप्ले ही तैयार किया था। फिर लगा कि; फिल्म से पहले भी इसे लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए, तो भोपाल में एक प्ले किया। यह प्ले लोगों ने पसंद किया और उपन्यास रचने का सुझाव दिया था।’


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यह उपन्यास एक और वजह से भी चर्चाओं में है। इस उपन्यास से होने वाली कमाई कुपोषित बच्चों पर खर्च होगी। इसके लिए एक स्वयंसेवी संगठन ‘विकास संवाद’ सहयोग के लिए आगे आया है।अमिताभ बताते हैं-‘हम एक कोशिश करने जा रहे हैं। उम्मीद है कि लोगों को यह उपन्यास पसंद आएगा और ज्यादा से ज्यादा हाथों से पहुंचेगा। विकास संवाद इस पहल को आगे बढ़ा रहा है, यह अच्छी बात है। हम अगर थोड़ा-बहुत भी कुपोषित बच्चों के लिए कुछ कर पाए, तो मेरा लिखना सार्थक होगा।’

उपन्यास पर फिल्म-साहित्य और पत्रकारिता के कई जाने-माने लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। ‘जाने भी दो यारो’ जैसी फिल्मों के लेखक रंजीत कपूर लिखते हैं-‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ राजनीतिक वंशवाद पर हास्यशैली का व्यंग्य/उपन्यास है। ‘कृष और काबिल’ जैसी फिल्में लिखने वाले संजय मासूम कहते हैं-‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ राजनीति में 'ना-काबिल' नेताओं की मौजूदगी को रोचक अंदाज में प्रस्तुत करता है। ख्यात कवि मदनमोहन समर ने लिखा-‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ हास्य-व्यंग्य काव्यशैली की तर्ज पर रचा गया है। मशहूर साहित्यकार प्रीता व्यास ने कहा- ‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ सरल भाषा में आमजीवन की सच्चाइयों को बयां करता बड़ा सजीव चित्रण है।

व्यंग्यकार अनुज खरे लिखते हैं- लोकतंत्र में कौन-किसे और कैसे ‘उल्लू’ बना रहा है, ‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ इसी की बानगी है। फिल्म गीतकार और गजलकार विजय अकेला ने प्रतिक्रिया दी- ‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ द ग्रेट इंडियन पॉलिटिक्स का मिरर है। फिल्मकार राजकुमार भान कहते हैं-‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ पढ़ते वक्त हर किरदार-दृश्य आंखों के सामने सजीव हो उठते हैं। अभिनेता राजीव वर्मा ने लिखा-‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ राजनीतिक वंशवाद को फिल्म-शैली में प्रस्तुत करता है। फिल्म लेखक और निर्देशक राज शांडिल्य कहते हैं-‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ पढ़ते वक्त यूं महसूस हुआ मानों हम कोई फिल्म देख रहे हों। पत्रकार अजीत वडनेरकर ने लिखा-हमारे सामाजिक परिवेश में घर कर चुके 'ठलुअई' के स्थायी भाव का बुंदेलखंडी संस्करण। पत्रकार केके उपाध्याय कहते हैं-‘उल्लू का पट्‌‌ठा’ लोकतांत्रिक अ-व्यवस्थाओं पर करारा व्यंग्य है। अमिताभ बताते हैं-‘दोनों ही उपन्यास को लेकर फिल्मकारों ने रुचि दिखाई है। अगर राइट्स बिकते हैं, तो यह पैसा भी कुपोषित बच्चों पर खर्च कर दिया जाएगा।’ ‘उल्लू का पट्ठा’ नोशन प्रेस ने पब्लिश किया है। जिसकी नोशन के अलावा अमेजॉन, फ्लिपकार्ट आदि से ऑनलाइन ब्रिकी शुरू हो गई है।

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