फिर संकट में घिरा अन्नदाता, लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा, फसल फेंकने को मजबूर हुआ किसान

Edited By Vikas kumar, Updated: 07 Dec, 2018 02:07 PM

then the distressed anandara

प्रदेश में प्याज और लहसुन मंडी में ज़बरदस्त मंदी है। राज्य की सबसे बड़ी नीमच मंडी में प्याज 50 पैसे और लहसुन 2 रुपए किलो बिक रहा है। जिसके चलते किसानों में नाराजगी का माहौल है। वे या...

भोपाल: प्रदेश में प्याज और लहसुन मंडी में ज़बरदस्त मंदी है। राज्य की सबसे बड़ी नीमच मंडी में प्याज 50 पैसे और लहसुन 2 रुपए किलो बिक रहा है। जिसके चलते किसानों में नाराजगी का माहौल है। वे या तो अपनी फसल वापस ले जा रहे हैं या फिर मंडी में ही छोड़ जा रहे हैं। मंडी सचिव का कहना है कि, किसान बेहतर गुणवत्ता का माल लेकर मंडी आएंगे तो बेहतर दाम मिलेगा। मंडी में प्याज और लहसुन के गिरते दामों के कारण किसानों को लागत मूल्य तो दूर की बात, अपने माल को मंडी में लाने तक का किराया-भाड़ा नहीं मिल पा रहा है।
 
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इस साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा उठाया जाने वाला मुद्दा किसानों था। इसके बावजुद किसानों की हालत में कोई भी सुधार नहीं हो रहा है। प्याज के लगातार गिरते भावों के बीच गुरुवार को मंडी में न्यूनतम भाव डेढ़ रुपए किलो रहा। अच्छी क्वालिटी वाले प्याज 6 रुपए किलो में नीलाम हुए। जबकि बाजार में हल्का प्याज 15 तो अच्छी क्वालिटी वाला 20 रुपए किलो में बिक रहा है। इसको लेकर किसानों में काफी आक्रोश है। इतने कम मूल्य में प्याज बिकने के कारण किसानों ने मंडी में प्याज की आवक ही रोक दी है।

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ठीक इसी तरह लहसुन भी 3 रुपए किलो नीलाम हो रही है। जबकी बाजार में यही लहसुन 30 से 40 रुपए किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। गुरुवार को मंडी में लहसुन की 8 हजार बोरी की आवक हुई जो करीब 150 से 600 रुपए प्रति क्विंटल में नीलाम हुई। 

पिछले सीजन में 32 रुपए प्रतिकिलो में बिका था प्याज...
पिछले वर्ष 2017 में इसी सीजन में किसानों ने 40 से 50 रूपए प्रति किलो के भाव में प्याज बेचा गया था। इस बार भी ज्यादा भाव मिलने की उम्मीद में बडी़ मात्रा में प्याज की खेती की गई। लेकिन यह किसानों के लिए अब घाटे का सौदा साबित हो रहा है। वहीं अचानक लहसुन 200 रूपए प्रति क्विंटल होने से किसान को लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है। 

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लागत भी नहीं मिल पा रही...
किसानों ने बताया एक बीघा जमीन में प्याज बोने में 12 से 15000 हजार रुपये का खर्च कर किसान 10 से 12 क्विंटल की पैदावार करता है और किसानों को आमदनी हो रही है 700 से 7000 तक, मतलब साफ है कि किसानों को लागत मूल्य का आधा भी नहीं मिल पा रहा है। 

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प्याज के बढ़ते दाम का दोषी कौन ?...
किसान प्याज के बढ़ते दामों का दोषी सिर्फ सरकार को मानते हैं। किसानों का कहना है कि, जब भारत में ही प्याज की पैदावार हो रही है तो आयात करने की क्या जरूरत पड़ी, यदि सब ऐसा ही चलता रहा तो किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे। 

 

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