कांग्रेस में मचा हड़कंप, कैबिनेट मंत्री ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता का किया विरोध

Edited By Vikas kumar, Updated: 14 Aug, 2019 12:42 PM

there stir congress cabinet minister opposed senior leader of his party

मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कांग्रेस में अपनी ही पार्टी के नेताओं के बयानों का विरोध कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। जिसे लेकर कांग्रेस में खलबली मची हुई है। दरअसल, कमलनाथ सरकार में लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा...

उज्जैन: मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कांग्रेस में अपनी ही पार्टी के नेताओं के बयानों का विरोध कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। जिसे लेकर कांग्रेस में खलबली मची हुई है। दरअसल, कमलनाथ सरकार में लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कांग्रेस के वरिष्ठ व पूर्व नेता वित्तमंत्री पी चिंदबरम के उस बयान का विरोध करते हुए कहा कि मैं पी चिंदबरम के उस बयान का विरोध करता हूं। केंद्र की चुनी हुई सरकार है उसे निर्णय लेने का अधिकार है। सरकार का अनुच्छेद 370 हटाने का तरीका गलत था, तानाशाह तरीके से धारा 370 हटाई गई है।

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आपको बता दें कि मंगलवार को आपकी सरकार आपके द्रार योजना के तहत मंत्री सज्जन वर्मा उज्जैन आए थे। जहां उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के उस बयान का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर कश्मीर हिंदू बहुल राज्य होता तो यह धारा नहीं हटाई जाती। मंत्री वर्मा ने कहा यह धारा जहां लगी थी वहीं से हटानी थी। केवल केंद्र की मोदी सरकार का तरीका अलोकतांत्रिक था। उन्होंने तानाशाही तरीके से इस धारा को हटाया। राज्यसभा में बहस के दौरान ही इस मामले में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो गए। इससे लगता है कि यह पूर्वनियोजित था। होना यह था कि पहले लोकसभा में बहस होती फिर राज्यसभा में प्रस्ताव पास होता। इसके बाद राष्ट्रपति के पास जाता और फिर गजट नोटिफिकेशन होता।

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जनसभा को संबोधित करते हुए सज्जन ने कहा कि मैं पी चिदंबरम के बयान का विरोध करता हूं। बीते दिनों कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उन्होंने विवादित बयान दिया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करके हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला है। यदि जम्मू-कश्मीर हिंदू बहुल राज्य होता तो बीजेपी इस राज्य का विशेष दर्जा नहीं छीनती।
 

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