Edited By suman, Updated: 05 Jan, 2019 10:44 AM
प्रदेश में ई टेंडर घोटाले को लेकर कांग्रेस सरकार अब एक्शन मोड में दिखाई दे रही है। आरोपियों को हवालात की हवा खिलाने के लिए सरकार ने EOW से कहा है कि वह डिस्क रिपोर्ट मिलते ही तुरंत आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करे। भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया...
भोपाल: प्रदेश में ई टेंडर घोटाले को लेकर कांग्रेस सरकार अब एक्शन मोड में दिखाई दे रही है। आरोपियों को हवालात की हवा खिलाने के लिए सरकार ने EOW (Economic Offence Wing CelL) से कहा है कि वह डिस्क रिपोर्ट मिलते ही तुरंत आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करे। भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) से इस मामले में हार्ड डिस्क की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही मामला दर्ज होगा।
दरअसल, ई टेंडर का काम दो प्राइवेट कंपियों के पास था। आरोप है कि इन कंपनियों ने सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की थी। इस बात का खुलासा आईएएस मनीष रस्तोगी की रिपोर्ट में हुआ था। इस मामले पर जब (CERT-In) के डीजी संजय बहल और ईओडब्लयू के डीजी मडु बाबू से पूछा गया तो उन्होंने सवाल को टाल दिया और कुछ भी कहने से बचते नजर आए। CERT-In ने लगभग एक महीने पहले अपने फोरेंसिक विश्लेषण के लिए मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (MPSEDC) से 11 हार्ड डिस्क एकत्र किए थे।
ईओडब्लयू के अफसर उन हार्ड डिस्क की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस सरकार ने इस मामले में ईओडब्लयू को जल्द ही एफआईआर करने के लिए कहा है। सूत्रों के मुताबिक सरकार इस घोटाले के हर कदम पर बारीकि से नजर रख रही है। CERT के विशेष निदेशक ओम वीर सिंह के नेतृत्व में पांच वैज्ञानिक इस उद्देश्य के लिए 4 से 7 दिसंबर के बीच भोपाल में थे। आरोपियों तक पहुंचने के लिए ईओडब्लयू को तकनीकि मदद के लिए CERT के साथ लंबी बातचीत करनी होगी। जिससे मुख्य आरोपियों तक पहुंता जा सके।MPSEDC सॉफ़्टवेयर में कथित उल्लंघन के कारण 3,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ, जिससे सरकार को 2018 में अपने नौ बड़े टेंडर को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। EOW ने MPSEDC के 9TB डेटा को जब्त कर लिया।