Edited By suman, Updated: 25 Aug, 2018 03:27 PM
शहर-प्रदेश व देश में संचालित सीबीएसई, आईसीएससी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के बैग का औसत वजन 8 किलो होता है। यदि साल में 200 दिन तक स्कूल आने-जाने में बच्चे द्वारा करीब आधा घंटे कंधे पर बस्ता उठाया तो इसका सालाना वजन औसत रूप से 3200 किलो हो जाता...
जबलपुर : शहर-प्रदेश व देश में संचालित सीबीएसई, आईसीएससी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के बैग का औसत वजन 8 किलो होता है। यदि साल में 200 दिन तक स्कूल आने-जाने में बच्चे द्वारा करीब आधा घंटे कंधे पर बस्ता उठाया तो इसका सालाना वजन औसत रूप से 3200 किलो हो जाता है। इसमें भी पानी की बोतल और लंच बॉक्स अलग से शामिल है। यह स्थिति एक सामान्य ट्रक के कुल वजन के बराबर है।
यह तथ्य 2014 हुए के एक शोध का है। इसी तरह वर्ष 2016-17 में सीबीएसई, एसोचैम समेत व अन्य संस्थाओं द्वारा देशभर में किए सर्वे के अनुसार बस्ते बोझ तले दबे बचपन के कारण बच्चे मायल्ड मस्क्यूलर पेन से भी ग्रसित हो रहे हैं। 12 साल की कम उम्र के करीब 75% बच्चे हमेशा बीमार ही रहते हैं। शहर की बात करें तो यहां साल भर में विभिन्न चिकित्सकों के यहां करीब डेढ़ हजार बच्चे दर्द का इलाज कराने पहुंचते हैं।
इस स्थिति में अब राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग ने पहल करते हुए अगस्त के पहले हफ्ते में आयोग ने विकास मंत्रालय को बस्ते का वजन कम करने के लिए प्रो. यशपाल कमेटी द्वारा तैयार एनसीईआरटी के करिकुलम फ्रेमवर्क को सख्ती से लागू करने की सिफारिश की है।