Edited By suman, Updated: 18 Oct, 2018 01:38 PM
आगर मालवा जिले में स्थित नलखेड़ा नगर का धार्मिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है। तांत्रिक साधना के लिए उज्जैन नगर के बाद नलखेड़ा नगर के मां बगलामुखी मंदिर का नाम आता है। मां बगलामुखी का महास्थल अति प्राकृतिक एवं रमणीक स्थल में स्थित है। मां बगलामुखी...
नलखेड़ा: आगर मालवा जिले में स्थित नलखेड़ा नगर का धार्मिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है। तांत्रिक साधना के लिए उज्जैन नगर के बाद नलखेड़ा नगर के मां बगलामुखी मंदिर का नाम आता है। मां बगलामुखी का महास्थल अति प्राकृतिक एवं रमणीक स्थल में स्थित है। मां बगलामुखी के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर लाभान्वित होते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि सच्चे मन से मां की आराधना की जाए तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। आश्चर्य का विषय यह कि यहां हिंदू समुदाय के साथ साथ मुस्लिम वर्ग के लोग भी मां के दर्शन के लिए आते हैं। मां बगलामुखी मंदिर के पूर्व दिशा में महाभारत काल से हनुमान मंदिर है।
इस मंदिर में मूर्ति महाभारत काल की है। उसका साक्ष्य यह है कि महाभारत काल में किसी भी देवता की मूर्ति नाभि के ऊपर से ही प्रतिष्ठित की जाती थी। यहां जो प्रतिमा है वह भी नाभी से ऊपर वाली विराजीत है। मां बगलामुखी मंदिर के बाहर 16 खंभों वाला एक सभा मंडप भी है, जिसे संवत 181 में पंडित ईम्बु जी ने दक्षिणी कारीगर तुला राम ने बनवाया था। मां बगलामुखी के बारे में कहा जात है कि कौरवों से युद्ध के पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को मां बगलामुखी की साधना एवं तंत्र शक्ति अर्जित हेतु नलखेड़ा मंदिर पर भेजा था। जिसका कलिका पुराण में वर्णन भी है। पांडवों द्वारा युद्ध के पूर्व यहां कर साधना की गई पांच भाइयों द्वारा मां बगलामुखी के घोर साधना करने पर माता ने प्रकट होकर पांडव को विजयश्री का वरदान दिया।