मंदिर में सैनिटाइजर मशीन का विरोध, संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष ने बताई वजह

Edited By meena, Updated: 05 Jun, 2020 01:20 PM

chairman of sanskrit bachao manch opposed the sanitizer machine in the temple

मध्यप्रदेश में सरकार 8 जून से सभी धार्मिक स्थलों को खोलने की तैयारी में हैं। इसके लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी है, जिसके मुताबिक धार्मिक स्थल में सैनिटाइजर मशीन लगाई जाएगी, तभी श्रद्धालुओं को प्रवेश मिलेगा। लेकिन मंदिर में सैनिटाइजर के प्रयोग पर कुछ...

भोपाल(इजहार हसन खान): मध्यप्रदेश में सरकार 8 जून से सभी धार्मिक स्थलों को खोलने की तैयारी में हैं। इसके लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी है, जिसके मुताबिक धार्मिक स्थल में सैनिटाइजर मशीन लगाई जाएगी, तभी श्रद्धालुओं को प्रवेश मिलेगा। लेकिन मंदिर में सैनिटाइजर के प्रयोग पर कुछ एक संस्थाओं को एतराज है, जिसके चलते अब इसका विरोध भी शुरू हो गया है। भोपाल में संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि सैनिटाइजर में अल्कोहल होता है। हम जब सामान्य स्थिति में भी शराब पीकर मंदिर व अन्य धार्मिक स्थलों में प्रवेश नहीं करते हैं तो सैनिटाइजर लगाकर कैसे घुस सकते हैं।

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मां वैष्णो धाम आदर्श नौ दुर्गा मंदिर के व्यवस्थापक एवं संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि सरकार द्वारा मंदिरों को लेकर जारी गाइडलाइन का पालन करने के लिए धर्म प्रेमी बंधु और मंदिर समिति तत्पर है किंतु मंदिरों में गर्भ ग्रह में भगवान के मूर्ति को स्पर्श कोई भी नहीं करता भोग तो प्रतिदिन लगता है और लगता रहेगा साथ ही सभी मंदिरों में हाथ धोने की मशीन और बैरिकेडिंग की व्यवस्था शासन को करनी चाहिए लेकिन मंदिरों में सैनिटाइजर का उपयोग नहीं होना चाहिए। क्योंकि उसमें अल्कोहल होता है और वैसे भी मंदिरों में शराब का सेवन करके प्रवेश निषेध रहता है।

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सैनिटाइजर में अल्कोहल
संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष का कहना है कि हाथ धो कर भगवान को प्रणाम करना या प्रसाद ग्रहण करना यह गलत है। इसलिए शासन को छोटे बड़े सभी मंदिरों के बाहर हाथ धोने की मशीन की व्यवस्था करनी चाहिए। अध्यक्ष का कहना है कि शासन यह निर्देश दे रहा है कि प्रसाद का वितरण ना किया जाए इसका हम विरोध करते हैं। दूसरी तरफ अन्य सभी प्रतिष्ठान खुल गए हैं। यहां तक कि शराब दुकानें तक खोल दी गई और सबसे आखरी में जगत के पालनहार भगवानों के द्वार खोले जाएगे। यह भी एक सोचने वाला विषय है। संकट हर्ता विघ्नहर्ता इस संसार में देवता ही हैं और उनको आपने मंदिरों में बंद करके रखा है। सबसे अंत में धार्मिक स्थल खोलने का निर्णय लिया गया है अगर यही गाइडलाइन शुरू से तय होती तो शायद यह संकट आज इस विकट स्थिति में ना पहुंचता।

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