Edited By meena, Updated: 10 May, 2022 12:28 PM
सीएम ने कहा कि चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हो हमारी कोशिश रहेगी। बता दे की शिवराज सरकार पंचायत चुनाव 27% ओबीसी आरक्षण के साथ कराना चाहती थी और यही वजह थी कि यह चुनाव अब तक रुके हुए थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस नेताओं ने सरकार की...
भोपाल(प्रतुल पराशर): मध्य प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करेंगे और प्रदेश सरकार रिव्यु पिटिशन दाखिल करेगी। सीएम ने कहा कि चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हो हमारी कोशिश रहेगी। बता दे की शिवराज सरकार पंचायत चुनाव 27% ओबीसी आरक्षण के साथ कराना चाहती थी और यही वजह थी कि यह चुनाव अब तक रुके हुए थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस नेताओं ने सरकार की लापरवाही का नतीजा बताया है। शिवराज सरकार की वजह से प्रदेश की 56 प्रतिशत आबादी को भाजपा सरकार के षणयंत्र के कारण अपने वाजिब अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा, पिछड़ा वर्ग से ही संबध मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी, यह सौदा और षणयंत्र भविष्य में आपके लिए घातक होगा। हमें इसी बात की आशंका थी, अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर सरकार की घोर लापरवाही के कारण, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का वह एजेंडा लागू हो गया है जिसमें "आरक्षण समाप्ति" की बात की गई थी।
दरअसल, पिछले लंबे समय से ओबीसी आरक्षण को लेकर पंचायत चुनाव अधर में लटके थे। अब रास्ता साफ हो गया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनावों को लेकर राज्य चुनाव आयोग को आदेश किया है कि बिना ओबीसी के चुनाव कराए जाएं। कोर्ट के अनुसार, 5 साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी होती है। ट्रिपल टेस्ट पूरा करने के लिए और वक्त नहीं दिया जा सकता। 2 हफ्ते में राज्य सरकार इसे लेकर अधिसूचना जारी करें। वहीं ओबीसी आरक्षण के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार की रिपोर्ट को न्यायालय ने अधूरा माना है और यही वजह है कि अधूरी रिपोर्ट की वजह से मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को चुनाव में आरक्षण नहीं मिल पाएगा। इसलिए स्थानीय चुनाव 36% आरक्षण के साथ ही होंगे जिसमे 20% एसटी और 16% एससी का सीट आरक्षित रहेगा।